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बैंक ग्यारंटी घोटाले में बैंक मैनेजर सहित चार को कारावास

भोपाल, 05 अक्टूबर (वार्ता) मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में आज सीबीआई विशेष अदालत ने एक हजार छह सौ सत्तावन लाख रूपए की बैंक गारंटी घोटाले मामले के आरोपित बैंक मैनेजर, बैंक अधिकारी और अनाज की खरीददार फर्मों के संचालकों को चार साल की सजा सुनाई है।
यह फैसला विशेष न्यायाधीश आलोक अवस्थी ने सुनाया।
अभियोजन के अनुसार घटना वर्ष 2002 से 2003 के बीच एमपी नगर स्थित देना बैंक की शाखा में हुई थी। बैंक के रीजनल मैनेजर एस श्रीनिवासन ने सीबीआई कार्यालय में लिखित शिकायत की थी कि बैंक के तत्कालीन ब्रांच मैनेजर आर के माथुर, बैंक अधिकारी संजय कुमार ने आरके एक्सपोर्ट भोपाल संचालक हेनरी गर्ग, ग्यारंटर आरके गर्ग और सिंघल एक्सपोर्ट मुंबई के पार्टनर अशोक अग्रवाल के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों रूपए की बैंक ग्यारंटी प्राप्त की है। बैंक मैनेजर और बैंक अधिकारी ने बैंक के नियमों को ताक मेें रखते हुए एेसी कुल 18 बैंक ग्यारंटी स्वीकृत की जो कि एक हजार छह सौ सत्तावन लाख रुपये की है।
आरोपितों ने फर्जी बैंक ग्यारंटी के आधार पर चंडीगढ़ फूड कार्पोरेशन आॅफ इंडिया से चावल की खरीद की है। बैंक अधिकारियों ने आरोपितों को लाभ पहुंचाने के लिए उनकी लिमिट से अधिक की बैंक ग्यारंटी स्वीकृत की थी। आरोपितों को जहां 2 करोड़ 10 लाख रूपए तक बैंक ग्यारंटी की पात्रता थी वहां उन्हें 16 करोड़ 57 लाख रूपए की बैंक ग्यारंटी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कर दी गई। आरोपितों ने इन फर्जी बैंक ग्यारंटी के माध्यम से फिरोजपुर, जालंधर, चंडीगढ़, पटियाला व अन्य राज्यों के एफसीआई कार्यालयों से करोड़ों के अनाज की खरीदी की।
इस मामले में आरोपितों ने एफसीआई को भी भुगतान करने के संबंध में लाखों रूपयों का चूना लगाया था जिनके वसूली के प्रकरणों की सुनवाई अलग से अदालतों में चल रही है।
सीबीआई ने शिकायत के आधार पर षडयंत्र में शामिल बैंक अधिकारियों और फर्मों के संचालकों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत धोखाधड़ी, जालसाजी, फर्जीवाड़े और षडयंत्र का अपराध कायम कर मामले का चालान अदालत में पेश किया था।
सं नाग व्यास
वार्ता
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