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जैविक खेती से धरती के प्राण बचेंगे-टंडन

ग्वालियर, 22 अक्टूबर (वार्ता) मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने कहा कि जैविक खेती से धरती के प्राण बचेंगे जिससे हम सबका जीवन भी सुधरेगा।
श्री टंडन आज यहां राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के छठवें दीक्षांत समारोह में अध्यक्षता करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि शून्य बजट एवं जैविक कृषि आज के समय की आवश्यकता है। अगर हम जैविक खेती को बढ़ावा देते हैं तो एक ओर जहां कम लागत में अधिक उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे तो किसानों की आय का बड़ा हिस्सा उर्वरकों की खरीदी में व्यय नहीं होगा। जैविक खेती से धरती के प्राण बचेंगे जिससे हम सबका जीवन भी सुरक्षित रहेगा। उन्होंने कहा कि हर विश्वविद्यालय एक गांव को जैविक खेती के लिए गोद ले ऐसा मैं लगातार आह्वान कर रहा हूं।
उन्होंने देश में हो रही सांस्कृतिक क्रांति का उल्लेख करते हुए कहा कि योग की स्वीकृति विश्वव्यापी हुई है। इसी तरह की ही क्रांति परंपरागत खेती की सफलता के लिए जरुरी है। गाय, गोमूत्र, जैविक खेती के बीच आपसी तालमेल को बढ़ाना होगा। ऐसा होने से किसान और हम सभी विभिन्न संकटों से बच जाएंगे।
मुख्य अतिथि की आसंदी से प्रदेश के किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री सचिन सुभाष यादव ने मध्यप्रदेश में कृषि विकास का उल्लेख करते हुए कहा कि कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर ने एक दशक के अल्पसमय में उल्लेखनीय प्रगति की है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के इस दौर में कृषि के क्षेत्र में हमें पर्यावरण संरक्षण करते हुए एक संतुलन स्थापित करना होगा जिससे हमारी मिट्टी का स्वास्थ्य बेहतर बना रहे। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में हमने स्टेट एग्रीकल्चरल काउंसिल बनाने का निर्णय किया है।
जाने माने कृषि वैज्ञानिक एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के पूर्व महानिदेशक एवं पूर्व सचिव डेयर डॉ. मंगला राय ने कहा कि कृषि क्षेत्र में अधिक निवेश के साथ प्रसंस्करण, विपणन, अनुसंधान में गति बहुत जरुरी है। उन्होंने छात्र छात्राओं से आहवान किया कि वे उपाधि के अनुरुप स्वयं की गरिमा हमेशा बनाए रखें।
दीक्षांत समारोह में 5 स्वर्ण पदक सहित कृषि विश्वविद्यालय के 521 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की गईं।
सं नाग
वार्ता
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