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गवाहों का दावा, आगजनी से पहले पुलिस की नक्सलियों से हुई थी मुठभेड़

जगदलपुर, 02 नवंबर(वार्ता) छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में आठ साल पहले घटित बहुचर्चित ताड़मेटला आगजनी कांड की न्यायिक जांच में बयान दर्ज कराने शुक्रवार को आयोग के यहां स्थित दफ्तर पहुंचे ग्राम तिम्मापुर के गवाहों ने दावा किया है कि आगजनी से पहले गांव में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी।
मुठभेड़ के बाद शव लेने हेलीकाप्टर आया था लेकिन किन लोगों का शव लेने हेलीकाप्टर गांव में उतरा था, यह गवाह नहीं बता सके। इधर गवाहों ने एक बार फिर दावा किया कि उनके मकानों को आग पुलिस के जवानों ने लगाई थी। गवाहों में पुरूषों का कहना था कि काफी संख्या में पुलिस गांव में सुबह ही पहुंच गई थी। पुलिस के पहुंचते ही गोली चलने की आवाज सुनकर अनहोनी की आशंका से गांव के अधिकांश पुरूष जंगल में भाग गए थे। सिर्फ बुजुर्ग और महिलाएं तथा छोटे बच्चे ही गांव में रह गए थे।गांव लौटने पर उन्होंने देखा कि गांव के मकान जल चुके थे। घर की महिलाओं ने बताया कि आगजनी पुलिस की ओर से की गई है।
रिटायर जस्टिस टीपी शर्मा की अध्यक्षता में टीएमटीडी घटना की जांच के लिए गठित एकल सदस्यीय विशेष न्यायिक जांच आयोग ने शुक्रवार को यहां कमिश्नर कार्यालय भवन स्थित आयोग के दफ्तर में सुनवाई रखी थी, जहां बयान दर्ज कराने तिम्मापुर के पीड़ित परिवारों के 32 लोग पहुंचे थे। इनमें से 31 महिला-पुरूषों ने बयान दर्ज कराया। आयोग ने शुक्रवार और शनिवार दो दिन की सुनवाई रखी थी।
सुनवाई में बयान दर्ज कराने ताड़मेटला के 20 और तिम्मापुर के 32 लोगों को बुलाया गया था। ताड़मेटला के लोगों को शुक्रवार को बयान दर्ज कराना था लेकिन वहां से एक भी गवाह नहीं पहुंचा। गांव के पटवारी ने आयोग को सूचना देकर बताया कि ताड़मेटला के गवाहों ने आने से मना कर दिया है। आयोग अभी तक 276 गवाहों का बयान दर्ज कर चुका है। पहली बार आगजनी से पहले पुलिस-नक्सलियों के बीच मुठभेड़ की बात गवाहों की ओर से सामने आई है। पुलिस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय शुक्ला और सरकारी अधिवक्ता दिनेश पानीग्राही ने गवाहों के कथन का प्रति परीक्षण किया।
करीम.व्यास
वार्ता
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