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कॉलेज/विश्वविद्यालय स्तर पर बनेगी चार शिकायत निवारण समितियाँ

भोपाल, 19 नवंबर(वार्ता) उच्च शिक्षा विभाग द्वारा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (छात्रों की शिकायतों का निवारण) विनियम 2019 लागू किया जा रहा है। इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई है।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार इसके तहत कॉलेज और विश्वविद्यालय स्तर पर छात्रों की शिकायत निवारण के लिये चार समितियाँ, महाविद्यालयीन छात्र शिकायत निवारण समिति, विभागीय छात्र शिकायत समिति, संस्थागत छात्र शिकायत निवारण समिति तथा विश्वविद्यालय छात्र शिकायत निवारण समिति गठित की गई है।
राज्य सरकार द्वारा विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों की शिकायत की सुनवाई के लिए राज्य स्तर पर लोकपाल की नियुक्ति की जाएगी। शिक्षा अथवा अनुसंधान क्षेत्र में प्रख्यात पूर्व कुलपति ही लोकपाल के लिए पात्र होंगे। लोकपाल की नियुक्ति के लिए पाँच सदस्यीय खोज समिति बनायी जाएगी। इसमें राज्यपाल द्वारा नामित व्यक्ति सभापति और सदस्य होंगे।
खोज समिति तीन नामों का पैनल देगी। लोकपाल को पद ग्रहण करने की तिथि से तीन वर्ष की अवधि अथवा 70 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो के लिए नियुक्त किया जाएगा। लोकपाल द्वारा किसी भी शिकायत को अधिकतम 30 दिनों में निराकृत करना होगा।
प्रत्येक संस्थान अधिसूचना जारी होने की तिथि से तीन माह की अवधि में ऑन-लाइन पोर्टल तैयार करेगा जहाँ कोई भी पीड़ित छात्र अपनी शिकायत निवारण के लिए आवेदन कर सकेगा। ऑनलाइन शिकायत प्राप्त होने के 15 दिनों के अन्दर संस्थान अपनी टिप्पणियों सहित शिकायत को संबंधित छात्र शिकायत निवारण समिति को भेजेगा। यह समिति सुनवाई के लिए एक निर्धारित तिथि तय कर संस्थान और पीड़ित छात्र को जानकारी देगी। विश्वविद्यालय छात्र शिकायत निवारण समिति द्वारा निराकृत नहीं की गई शिकायतों को समयावधि में लोकपाल को भेजा जाएगा। लोकपाल द्वारा हस्ताक्षरित शिकायत निवारण के आदेश की प्रतियाँ संस्थान के साथ पीड़ित छात्र को भी उपलब्ध कराई जाएगी। साथ ही संस्थान आदेश की प्रति सामान्य जानकारी के लिए अपनी वेबसाइट पर भी अपलोड करेगा।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग समितियों की सिफारिशों का अनुपालन नहीं करने पर विशविद्यालय, महाविद्यालय की संबद्धता वापस लेगा। नियमों का उल्लघंन करने पर आयोग द्वारा अनुदान भी रोका जा सकेगा।
व्यास
वार्ता
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