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मध्यप्रदेश टाइगर स्टेट दो अंतिम भाेपाल

इस वर्ष तेंदूपत्ता संग्राहकों को 2000 रुपये प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 2500 रुपये प्रति मानक बोरा की दर से मजदूरी का नगद भुगतान किया गया। संग्रहण काल में संग्राहकों को 20 लाख 95 हजार मानक बोरा तेंदूपत्ते के संग्रहण के लिये 523 करोड़ 75 लाख रुपये मजदूरी का भुगतान किया गया।

प्रदेश के वनों में जैव-विविधता बनाये रखने के लिये रोपणियों में दुर्लभ एवं विलुप्त प्रजातियों के लगभग 70 लाख पौधे तैयार किये गये हैं। इनमें हल्दू, सलई, धामन, तिंसा, शीशम आदि प्रजातियाँ प्रमुख रूप से शामिल हैं।

सूचना प्रौद्योगिकी की सहायता से अनुसंधान विस्तार रोपणियों में तैयार किये गये पौधों के ऑनलाइन संधारण के लिये नर्सरी मैनेजमेंट सिस्टम विकसित किया गया है। रोपणियों की सुरक्षा और निगरानी सी.सी. टी.व्ही. कैमरे से हो रही है। जन-सामान्य के लिये एम.पी. ऑनलाइन के माध्यम से ऑनलाइन पौधा विक्रय की व्यवस्था की गई है। वन विभाग की रोपणियों में मिस्ट चेम्बर, पॉली-हाउस, ग्रीन नेट, वर्मी कम्पोस्ट यूनिट, माइक्रो इरीगेशन सिस्टम, सोलर ऊर्जा उपलब्ध है।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में 19 अगस्त, 2019 को हुई बैठक के परिप्रेक्ष्य में वन्य-जीव क्षेत्रों में पर्यटन बढ़ाने और ठोस रणनीति तैयार करने के लिये राज्य-स्तरीय समिति बनाई गई है। प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्य में हर साल 20 लाख पर्यटक आते हैं, जिनमें एक बड़ा भाग विदेशी पर्यटकों का है।

वनोपज व्यापार को प्रोत्साहन देने के लिये वन उपज के पुन: विक्रय करने पर हस्तांतरण शुल्क प्रति आवेदन 500 रुपये निर्धारित किया गया है। पूर्व में आवेदन-पत्र प्राप्त होने पर क्रेता से विक्रय मूल्य की 3 प्रतिशत राशि हस्तांतरण शुल्क के रूप में लिये जाने का प्रावधान था।

पर्यटकों की यात्रा को सुखद बनाने वाले गाइडों के सेवा शुल्क में इस वर्ष वृद्धि की गई। गाइड श्रेणी जी-1 का सेवा शुल्क 500 रुपये से बढ़ाकर 600 रुपये और जी-2 का 350 से बढ़ाकर 480 रुपये किया गया।
प्रदेश में संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के माध्यम से 78 गौ-शालाओं के निर्माण एवं संचालन की स्वीकृति दी गई है। इसके लिये 30 लाख रुपये प्रति गौ-शाला की दर से अब तक 50 गौ-शालाओं के निर्माण के लिये संबंधित वन मण्डलों को राशि दी जा चुकी है।

वन, वन्य-प्राणी और पर्यावरण संरक्षण के प्रति राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों के आसपास रहने वाले बच्चों को जागरूक करने के अनुभूति कार्यक्रम संचालित किये गये। कार्यक्रमों में इस वर्ष 56 हजार स्कूली बच्चों ने भाग लिया।
व्यास
वार्ता
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