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मध्यप्रदेश यादव किसानकर्ज दो अंतिम भोपाल

श्री यादव ने बताया कि राज्य सरकार ने पूर्ववर्ती सरकार के समय का खरीफ 2018 के फ्लैट भावान्तर योजना में मक्का फसल के लिये 2 लाख 60 हजार किसानों को 514 करोड़ रूपये का भुगतान किया है। उन्होंने बताया कि इस मामले में भी केन्द्र, मध्यप्रदेश के साथ भेदभावपूर्ण रवैया अपना रहा है। खरीफ 2017 के भावांतर के 576 करोड़, खरीफ 2018 के 321 करोड़ और अतिरिक्त 6 लाख मी. टन के 120 करोड़ अर्थात कुल 1017 करोड़ रूपये केन्द्र द्वारा मघ्यप्रदेश को अब तक नहीं दिये गये हैं।
उन्होंने बताया कि पिछले चार साल में प्रदेश में किसान आर्थिक रूप से बेहद कमजोर हो गया था। राज्य सरकार ने इस स्थिति का पूरा ब्यौरा विधानसभा के पटल पर प्रस्तुत किया था। केन्द्र सरकार द्वारा 28 सितम्बर 2018 को जारी एक रिपार्ट में भी कहा गया था कि मध्यप्रदेश में पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में एवरेज खेती का रकबा लगातार कम होता रहा है। सीमांत किसान की औसत जोत मात्र 0.49 हेक्टेयर रह गई थी और खेती का रकबा एक लाख 66 हजार हेक्टेयर कम हो गया था।
श्री यादव ने बताया कि प्रदेश में अति-वृष्टि और बाढ़ से सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को हुआ है। लगभग 55 लाख किसानों की 60 लाख हेक्टेयर की फसलें खराब हुईं। हमने किसानों की फसलों की क्षतिपूर्ति, जान-माल और अधोसंरचना के नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र सरकार से 6621 करोड़ 28 लाख रूपये की सहायता देने का आग्रह किया है, किन्तु अब तक केन्द्र की ओर से कोई धनराशि प्राप्त नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि किसान की सबसे बड़ी ताकत फसल बीमा की राशि होती है। राज्य सरकार ने इस भीषण प्राकृतिक आपदा में खरीफ वर्ष 2019 में फसल बीमा के राज्यांश अग्रिम की राशि 509.60 करोड़ का भुगतान बीमा कंपनियों को कर दिया है, लेकिन केन्द्र सरकार ने इस मद में भी राज्यांश राशि 2301 करोड़ रूपये का भुगतान अभी तक नहीं किया है।
नाग
वार्ता
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