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बौद्ध काल में स्त्री और पुरुष को बराबर का दर्जा हासिल था-थेरो

रायसेन 26 नवंबर (वार्ता) महाबोधि सोसायटी आफ श्रीलंका के अध्यक्ष वेनेगला उपस्थसा नायका थेरो ने कहा कि ‘बौद्ध काल में स्त्री और पुरुष को बराबर का दर्जा हासिल था और बुद्ध की शिक्षाओं से ही प्रभावित होकर विश्व में श्रीलंका प्रथम देश बना जहां पर सर्वप्रथम महिला को प्रधानमंत्री बनाया गया।
सांची बौद्ध विश्वविद्यालय में आज ‘बौद्ध दर्शन के प्रारंभिक काल का ऐतिहासिक दृष्टिकोण से अध्ययन’ पर आयोजित राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में महात्मा बुद्ध के शुरुआती जीवन और देशकाल एवं इतिहास पर देशभर के शिक्षाविद् और विद्वान चर्चा कर रहे है।
श्री थेरो ने कहा कि बौद्ध धर्म में जन्म की बजाय कर्म से ऊंचा होने का दृष्टांत है। उन्होंने कहा कि ‘सांची ही वह स्थान है जिसके कारण हम श्रीलंका के लोग सभ्य और सुसंस्कृत हुए। यहीं से सम्राट अशोक के पुत्र मिलिंद और पुत्री संघमित्रा श्रीलंका बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए गए थे।
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो बीपी साहू ने कहा कि बौद्ध काल में वैश्य और कार्यकारी समुदाय ने दक्षिण में बने चैत्य और बौद्ध परिसरों के निर्माण में काफी दान दिया।
प्रो. सैय्यद ज़ाफरी ने कहा कि अरबी में जिलकिफ्ल शब्द का उल्लेख है जिसे इतिहासकार बुद्ध से जोड़ते है, इसका अर्थ कपिलवस्तु से आया आदमी होता है। उन्होंने सूफीवाद की धारणा फ़ना होने को भी बौद्ध धर्म से जोड़ा। इसमें ईश्वर से बिना किसी मकसद और आस के सिर्फ प्रेम के लिए प्रार्थना की जाती है। उन्होंने कहा कि कुछ इस्लामिक इतिहासकार मानते हैं कि सूफीवाद को इस्लाम से जुड़ा ना मानकर वैदिक और बौद्ध धर्म का स्वरुप मानते है।
बनारस हिंदु विश्वविद्यालय के प्रो. लालजी श्रावक ने बौद्ध संगीति पर अपनी शोध प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि महात्मा बुद्ध ने कहा था कि वे किसी आचार्यवाद या धर्म की स्थापना करना नहीं चाहते थे, बल्कि चाहते थे कि ऐसा मार्ग बता सकें जिससे लोगों के दुख दूर या कम हो सकें।
सांची विवि के कुलपति और प्रमुख सचिव संस्कृति डॉ पकंज राग ने कहा कि वैदिक व्यवस्था से मोहभंग और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के चलते बौद्ध और जैन धर्म पनपे। डॉ राग का कहना था कि लोहे की खोज के बाद उसके उपयोग से बनाए गए हल और कृषि उपकरणों के कारण बौद्ध काल में जंगलों को काट कर खेती के लिए ज़मीन विकसित की गई।
राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस के प्रथम दिवस इतिहासकारों और शिक्षाविदों द्वारा कई शोधपत्र प्रस्तुत किए गए।
सं नाग
वार्ता
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