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मध्यप्रदेश टंडन संविधान दो अंतिम भोपाल

प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि प्रजातंत्र का सम्मान बनाए रखने में विधायिका और कार्यपालिका से अधिक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी न्यायपालिका की है। न्यायपालिका संविधान की संरक्षक है। प्रजातंत्र का मूलाधार न्याय पर निर्भर है। स्वतंत्रता और समानता की सीमाएँ हैं किन्तु न्याय असीमित है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में लोगों की सोच में परिवर्तन हो रहा है। प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नए बदलाव हुए हैं। आज न्यायालय में जो मुद्दे आ रहे हैं, वह पहले नहीं आते थे। इन परिवर्तनों को न्याय प्रणाली के साथ जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज से 72 साल पहले हमने बड़े संघर्ष के बाद आज़ादी प्राप्त की थी। धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विविधताओं के साथ एक झंडे के नीचे सबको खड़ा करना संविधान निर्माताओं के लिए एक बड़ी चुनौती थी। गर्व की बात है कि हमारे संविधान निर्माताओं ने इतनी भिन्नताओं के साथ एक राष्ट्र का निर्माण किया है। आज दुनिया में कहीं ऐसा उदाहरण नहीं मिलता है।
उन्होंने कहा कि हमें अपने संविधान पर गर्व होना चाहिये। देश का सम्मान संविधान से होता है। उन्होंने कहा कि संविधान दिवस के अवसर पर संकल्प लेना चाहिये कि हम कैसा देश भावी पीढ़ी को देना चाहते हैं। संविधान के प्रति गर्व के साथ ही विश्वास का भी प्रदर्शन किया जाना चाहिये।
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ए.के. मित्तल ने नागरिकों का आव्हान किया कि राष्ट्र-निर्माण के लिए मूल अधिकारों के यथावत पालन के द्वारा सामाजिक और वैचारिक परिवर्तन की पहल करें। उन्होंने कहा कि कोई भी संविधान कितना भी अच्छा बनाया गया हो, वह स्वयं से उद्देश्यों की पूर्ति नहीं कर सकता। आवश्यक है कि नागरिकों की जीवनशैली और भावनाएँ संविधान के उद्देश्यों के अनुरूप हों।
उन्होंने कहा कि संविधान दिवस हमारी भावी पीढ़ी के ज्ञान को बढ़ाने में सहायता करता है, जिससे वह संविधान के महत्व को समझ सके, उसका सम्मान कर सके और उसका समुचित रूप से पालन करे। संविधान दिवस, लोकतांत्रिक व्यवस्था को संविधान से जोड़े रखने के महत्व को प्रतिस्थापित करता है। हमारे संविधान निर्माताओं द्वारा स्वतंत्र, लोकतांत्रिक और आत्म-निर्भर राष्ट्र निर्माण के लिए किये गये कठिन संघर्ष और परिश्रम के बारे में युवाओं को अवगत कराया जाना चाहिये। इसे शासन और राजनैतिक दलों द्वारा मनाया जाने वाला उत्सव-मात्र नहीं माना जाए बल्कि राष्ट्र निर्माण में योगदान देने वालों के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए उत्साह के साथ मनाना चाहिए। उन्होंने विस्तार से संविधान की उद्देशिका, मूलाधिकार और मूल कर्तव्यों की व्याख्या की।
राज्यपाल ने मुख्यमंत्री श्रीकमलनाथ और मुख्य न्यायाधीश जस्टिस ए.के. मित्तल को स्मृति-चिन्ह एवं संविधान की प्रति भेंट की।
कार्यक्रम में विधि-विधायी कार्य मंत्री पी.सी. शर्मा और मुख्य सचिव एस.आर. मोहंती भी उपस्थित थे।
प्रमुख सचिव विधि-विधायी कार्य सत्येन्द्र कुमार सिंह ने संविधान दिवस आयोजन की रूपरेखा पर प्रकाश डाला। जस्टिस संजय यादव ने कार्यक्रम संचालन किया।
नाग
वार्ता
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