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मध्यप्रदेश चौधरी शिक्षा दो अंतिम भोपाल

डॉ. चौधरी ने बताया कि, प्रदेश में 'वॉल आफ फेम' नाम से सम्मान योजना प्रारंभ की गई है। यह योजना कक्षा तीसरी से आठवीं तक के विद्यार्थियों में बुनियादी दक्षता के उन्नयन के लिए शिक्षकों और शालाओं द्वारा किये जा रहे प्रयासों को सम्मान एवं प्रोत्साहन देने के लिए प्रारंभ की गई है। इसके अन्तर्गत तीन श्रेणियां कांस्य, रजत एवं स्वर्ण चैम्पियन शामिल हैं। इस योजना के अन्तर्गत इस वर्ष प्रदेश में 851 स्वर्ण चैम्पियन, 2187 रजत चैम्पियन और 4566 कांस्य चैम्पियन प्रमाण-पत्र सहित कुल 7600 विद्यालयों को अवार्ड प्रदान किए गए हैं।
स्कूल शिक्षा मंत्री ने बताया कि पीयर लर्निंग के तहत शिक्षकों के कक्षा-शिक्षण अनुभवों और समस्याओं पर विचारों के आदान-प्रदान एवं समाधान के लिए संकुल स्तर पर प्रतिमाह के अंतिम सप्ताह में एक दिन शैक्षिक संवाद आयोजित किया जा रहा है। इसमें शिक्षक अपने विषय एवं कक्षाओं की उपलब्धियों और समस्याओं पर विचार-विमर्श कर समाधान प्राप्त करते हैं।
उन्होंने जानकारी दी कि विद्यार्थियों को राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन करने योग्य बनाने के उद्देश्य से प्रदेश में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू किया गया है। सत्र 2019-20 में कक्षा 6वीं से 10वीं तक सामाजिक विज्ञान और कक्षा 11वीं में कला संकाय की एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू कर दिया गया है। वर्ष 2021-22 तक क्रमिक चरणों में सभी विद्यालयों में कक्षा 9वीं से 12वीं तक के सभी विषयों में यह पाठ्यक्रम लागू कर दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के अंतर्गत प्रदेश के प्रायवेट स्कूलों की प्रवेशित कक्षा में कमजोर वर्ग के बच्चों के लिये 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित कर लगभग 12 लाख से अधिक बच्चों का नि:शुल्क प्रवेश करवाया गया है। डॉ. चौधरी ने कहा किशिक्षकों की कमी को भी क्रमवार रूप से पूरा किया जा रहा है। उच्च माध्यमिक शिक्षक एवं माध्यमिक शिक्षक वर्ग के लिए पात्रता परीक्षा आयोजित की गई है। इसमें लगभग 22 हजार शिक्षकों की शीघ्र ही नियुक्ति की जाएगी।
उन्होंने बताया कि कक्षा 8वीं एवं 9वीं में प्रवेशित विद्यार्थियों की दक्षता सुधार के लिए कक्षा 9वीं में प्रवेशित सभी विद्यार्थियों के लिए ब्रिज कोर्स चलाए जा रहे हैं, जिसमें हिन्दी, अंग्रेजी एवं गणित की पढ़ाई कराई जा रही है। इसके लिए लगभग 20 हजार शिक्षक तैनात किये गए हैं।
उन्होंने बताया कि विद्यार्थियों को 21वीं सदी के हिसाब से शिक्षित करने के मकसद से क्रिएटिविटी, क्रिटिकल एनालिसिस, कोलेबोरेटिव लर्निंग, कम्युनिकेशन आदि स्किल विकसित करने की दृष्टि से स्टीम आधारित शिक्षा पद्धति को लागू किया जाएगा इसके संबंध में विमर्श करने के लिए विगत 30 एवं 31 अक्टूबर को दो दिवसीय स्टीम कॉन्क्लेव आयोजित की गई, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर के विषय-विशेषज्ञों, शिक्षा से जुड़े संस्थानों, प्रदेश के शासकीय एवं अशासकीय स्कूलों के प्रतिनिधि एवं शिक्षकों ने भाग लिया।
स्कूल शिक्षा मंत्री ने बताया कि पायलेट परियोजना में प्रदेश के 13 विद्यालयों में 'कक्षा-साथी' एप के माध्यम से बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। इससे विद्यार्थियों का रियल टाइम मूल्यांकन किया जा सकेगा। इसमें भोपाल जिले के 8 एवं रायसेन जिले के 5 विद्यालयों में 'कक्षा-साथी' एप से अध्यापन प्रारंभ किया गया है।
डॉ. चौधरी ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश को देश के अग्रणी राज्यों की श्रेणी में लाने के लिए आधारभूत संरचना और संसाधनों में सुधार के साथ शिक्षकों की कमी को दूर करने और शालाओं का सशक्तिकरण कर उन्हें उच्च गुणवत्तायुक्त संस्थानों में विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
व्यास
वार्ता
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