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सारकेगुड़ा जैसी घटनाओं को रोकने आदिवासी समाज को आगे आना चाहिये-नेताम

जगदलपुर, 02 दिसंबर (वार्ता) छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ आदिवासी नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने कहा है कि बस्तर के सारकेगुड़ा जैसी जघन्य हत्याकांड की घटनाओं को रोकने की जिमेदारी आदिवासी समाज की भी है। इसलिए ऐसी घटनाओं की पुनरावृति को रोकने के लिए आदिवासी समाज को आगे आना चाहिए।
श्री नेताम ने बताया कि सारकेगुड़ा नरसंहार कांड पर न्यायिक आयोग की रिपोर्ट आने के बाद आदिवासी समाज व्यथित है। अक्सर नक्सली उन्मूलन के नाम पर जंगलों में आदिवासी मारे जाते हैं। ऐसी घटनाओं के विरोध में कुछ लोगों को छोड़कर पूरा समाज रहस्यमय चुप्पी साधे रहता है। फलस्वरूप निर्दोष आदिवासी मारे जा रहे हैं।
उन्होंने फिर दोहराया कि आदिवासियों को संगठित होना चाहिए और सारकेगुड़ा कांड जैसी घटना की पुनरावृति को रोकने के लिए आगे आना चाहिए।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के द्वारा न्यायिक रिपोर्ट पर विचार विमर्श के लिए आज राजधानी रायपुर में एक बैठक का आयोजन किया गया है। इस बैठक में समाज यह निर्णय लेगा की आगे की रणनीति किस प्रकार की अख्तियार किया जाए।
ज्ञात हो कि बस्तर के बीजापुर जिले में सन् 2012 में सारकेगुड़ा ग्राम में पुलिस मुठभेड़ के दरमियान 17 आदिवासी मारे गए थे। इस मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया गया था जिसने अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है। इस रिपोर्ट में साफ -साफ कहा गया है कि मारे गए ग्रामीण नक्सली नहीं थे।
नाग
वार्ता
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