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पेंच टाइगर रिजर्व में पर्यटकों की संख्या बढ़ी

भोपाल, 29 दिसंबर (वार्ता) मध्यप्रदेश के सिवनी जिले में स्थित पेंच टाइगर रिजर्व में पर्यटन वर्ष 2018-19 में 79 हजार 852 देशी और आठ हजार 831 विदेशी पर्यटक सहित 88 हजार 683 पर्यटक पहुँचे। इन पर्यटकों से रिजर्व को तीन करोड़ 11 लाख 35 हजार 923 रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार पर्यटन वर्ष 1997-98 में मात्र 988 पर्यटकों ने पेंच टाइगर रिजर्व का भ्रमण किया था, जिनमें एक भी विदेशी पर्यटक शामिल नहीं था। पेंच टाइगर रिजर्व को प्रबंधन में पर्यटन वर्ष 2010-11 में पूरे देश में पहला और वर्ष 2014 में दूसरा स्थान मिला था। वर्तमान में यह देश के सबसे लोकप्रिय टाइगर रिजर्वों में से एक है और सबसे अधिक शाकाहारी घनत्व वाला पार्क है।
इस रिजर्व में मांसाहारी प्राणी में बाघ, तेंदुआ, जंगली बिल्ली, कुत्ते, लकड़बग्घा, सियार, लोमड़ी, भेड़िया और नेवला तथा शाकाहारी वन्य जीवों बायसन, चीतल, सांभर, नीलगाय, चौसिंगा, चिंकारा, जंगली सुअर आदि जानवरों की बहुतायत है। यहाँ के खूबसूरत जंगल भी सैलानियों को आकर्षित करते हैं। राष्ट्रीय उद्यान में विभिन्न मौसमों में लगभग 325 प्रजाति के पक्षी देखे जा सकते हैं। पार्क के तोतलाडोह जलाशय के डूब क्षेत्रों में सर्दी के मौसम में प्रवासी पक्षियों का जमघट लगा रहता है।
पेंच टाइगर रिजर्व में 116 किलोमीटर मार्ग तथा 82.3 वर्ग किलोमीटर (20 प्रतिशत) क्षेत्र में पर्यटन होता है। पर्यटकों को तीन प्रवेश द्वारों रूखड़, तेलिया और खवासा से प्रवेश दिया जाता है। वन विभाग द्वारा पर्यटकों की सुविधा के लिये यहाँ 12 महिला गाइड सहित 96 गाइड की व्यवस्था की गई है। टूरिया में 10 महिला, कर्माझिरि और तेलिया बफर में एक-एक महिला गाइड की नियुक्ति की गई है। टुरिया प्रवेश-द्वार पर कुल 56, कर्माझिरि में 11, जमतरा और तेलिया बफर में 6-6, रूखड़ बफर में 2 और सकाटा बफर में 3 गाइड उपलब्ध हैं। इसी तरह सफारी में 142 पंजीकृत वाहन भी उपलब्ध हैं। इनमें से सर्वाधिक 124 टुरिया गेट पर, 10 कर्माझिरि और 8 जमतरा में उपलब्ध हैं।
पार्क में पर्यटकों के लिये संचालित गतिविधियों में पक्षी-दर्शन, जंगल सफारी, स्थानीय सांस्कृतिक कार्यक्रम, जंगल कैम्प, नेचर ट्रेल, वैज्ञानिक अध्ययन, ट्री-हाउस और इंटरप्रिटेशन सेंटर शामिल हैं। यहाँ पर्यटन से पर्यावरण संरक्षण जागरूकता के साथ स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलता है।
विश्वकर्मा
वार्ता
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