राज्य » मध्य प्रदेश / छत्तीसगढ़Posted at: Dec 29 2019 7:46PM सिनेमा के प्रति जो जुनून है, उसको मरने ना दें : प्रो. पंकज सक्सेनाभोपाल, 29 दिसंबर(वार्ता) भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई), पुणे के प्रोफेसर पंकज सक्सेना ने कहा है कि सिनेमा कल्चर को और बढ़ावा देने जरूरत है, इसके लिए आप युवाओं के अंदर सिनेमा के प्रति जो जुनून है, उसको मरने ना दें और इस दिशा में कुछ नया करके दिखाएं। ड़आधिकारिक जानकारी के अनुसार प्राे. सक्सेना ने यह बात आज यहां पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) में आयोजित ‘एडमिशन सेमिनार’ में कही। उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जीईटी 2020) फिल्म और टेलीविजन की दुनिया में अपना करियर बनाने के लिए इच्छुक आप सभी युवाओं के लिए एक सुनहरा अवसर है। इसके जरिए आप एफटीआईआई, पुणे और सत्यजीत रे फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एसआरएफटीआई) कोलकाता में प्रवेश ले सकते हैं। एफटीआईआई एवं एसआरएफटीआई द्वारा आयोजित इस एडमिशन सेमिनार को संबोधित करते हुए श्री सक्सेना ने संयुक्त प्रवेश परीक्षा के बारे में विस्तार से जानकारियां दीं। उन्होंने कहा कि साल 2020 के लिए एफटीआईआई और एसआरएफटीआई में प्रवेश के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा 15 और 16 फरवरी 2020 (शनिवार और रविवार) को देश के 27 सेंटर्स पर आयोजित की जाएगी। अब अभ्यर्थी एक साथ तीन कोर्सेज में अप्लाई कर सकते हैं। परीक्षा के लिए आवदेन प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि 24 जनवरी 2020 है।श्री सक्सेना ने एफटीआईआई में सिनेमा की विभिन्न विधाओं से संबंधित कोर्सेज के बारे में भी युवाओं को बतायाएसआरएफटीआई, कोलकाता के प्रोफेसर श्यामल कर्माकर ने युवाओं को संयुक्त प्रवेश परीक्षा को उत्तीर्ण करने के बारे में कई टिप्स दिए। उन्होंने कहा कि परीक्षा को पास करने के लिए ईमानदार प्रयास जरूरी है। उन्हाेंने युवाओं से आह्वान किया कि वे ओरिएंटेशन और इंटरव्यू के दौरान खुद को ईमानदारी के साथ प्रस्तुत करें क्योंकि प्रवेश परीक्षा का उद्देश्य आपके अंदर छुपी संभावना को तलाशना है न कि आपकी प्रतिभा को खारिज करना। उन्होंने कहा कि सिनेमा में भाषा कोई रुकावट नहीं है क्योंकि सिनेमा तो खुद ही स्वयं को व्यक्त करने का माध्यम है।मशहूर सिनमैटोग्राफर राजेंद्र जांगले ने सिनमैटोग्राफी के बारे में छात्रों को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि सिनमैटोग्राफी आपको कैमरे की आंख से दुनिया को देखने और उसे अपनी कल्पनाशीलता के अनुसार आईने के तौर पर दिखाने का मौका देती है। उन्होंने कहा कि सिनमैटोग्राफी सुनहरे पर्दे पर दृश्य के रूप में कविता लिखने की विधा है।सुश्री राजुला शाह ने कहा कि सिनेमा के निर्माण में सिनमैटोग्राफी, साउंड रिकॉर्डिंग, प्रोडक्शन डिजाइनिंग, आर्ट डाइरेक्शन और संपादन भी काफी महत्वपूर्ण हैं और इन क्षेत्रों में भी काफी संभावना है तथा आप इनमें भी काफी बेहतर कर सकते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में महिलाएं भी काफी बेहतर कर रही हैं। उन्होंने खासतौर पर प्रोडक्शन डिजाइनिंग के बारे में युवाओं को काफी विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि सीखना एक प्रक्रिया है और आप निरंतर कुछ ना कुछ सीखते रहते हैं।सेमिनार में माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, जागरण लेकसिटी यूनिवर्सिटी, बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, पीपुल्स विश्वविद्यालय, आरजीपीवी, एसआईआरटी, कैरियर कॉलेज समेत बहुत सारे संस्थानों के छात्रों ने सहभागिता की।व्यास वार्ता