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कांग्रेस प्रवक्ता के खिलाफ मानहानि मुकदमा खारिज

भोपाल, 06 जनवरी (वार्ता) मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल जिले की एक अदालत ने कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा के खिलाफ मानहानि मुकदमे को खारिज कर दिया।
न्यायिक मजिस्ट्रेट रोहित श्रीवास्तव ने मामला समयसीमा से बाहर होने से खारिज कर दिया।
इस मामले में कांग्रेस नेता केके मिश्रा को पूर्व में सुप्रीम कोर्ट से भी राहत मिली थी जिसके निर्णय में कहा गया था कि मामला व्यक्तिगत होने से इसे अदालत में पेश करने का अधिकार भी उसी व्यक्ति को है जिसकी मानहानि हुई हो। सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा शासित सरकार द्वारा पेश मानहानि प्रकरण को खारिज करते हुए केके मिश्रा को राहत दी थी और मामले को पुनः मानहानि पीड़ित पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को उनके क्षेत्राधिकार की अदालत में पेश करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद पूर्व सीएम शिवराज सिंह चैहान ने 27 अप्रैल 2018 को अदालत में मानहानि प्रकरण लगाया था।
अदालत ने श्री चौहान द्वारा पेश किए गए प्रकरण को समयसीमा से बाहर मानते हुए खारिज कर दिया।
कांग्रेस प्रवक्ता के के मिश्रा ने मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय में 21 जून 2014 को एक प्रेस कांन्फ्रेस आयोजित कर पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान उनकी पत्नी साधना सिंह चौहान व उनके परिजनों पर व्यापमं घोटाले में शामिल होने और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। मिश्रा ने आरोप लगाया था कि पूर्व सीएम शिवराज के ससुराल गोंदिया से 19 परिवहन निरीक्षकों की नियुक्ति की गई है जो कि व्यापमं द्वारा आयोजित परीक्षा में चयनित हुए हैं। शिवराज सिंह के मामा फूल सिंह चैहान द्वारा व्यापमं मामले के आरोपित पंकज त्रिवेदी और नितिन मोहिन्द्रा से व्यापमं परीक्षाओं में घोटाले करने और अन्य रिश्तेदारों को बड़े शासकीय ठेके स्वीकृत कराने का आरोप लगाया था।
श्री मिश्रा ने शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना सिंह की ओर इशारा करते हुए आरोप लगाया था कि सीएम कार्यालय से एक प्रभावशाली महिला ने कुल 139 काॅल के जरिये व्यापमं आरोपित नितिन मोहिन्द्रा, पंकज त्रिवेदी और पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा से बातचीत की है। मिश्रा द्वारा प्रेस कांन्फ्रेंस में लगाए गए आरोप प्रमुख समाचार पत्रों और टीवी चैनलों में
प्रकाशित और दिखाए गए थे।
इस घटना के बाद भोपाल के शासकीय वकील आनंद तिवारी द्वारा सरकार की ओर से केके मिश्रा के खिलाफ मानहानि प्रकरण सत्र न्यायालय में पेश किया गया था। मिश्रा ने इस मामले में हाईकोर्ट में चुनौती पेश की थी जहां उन्हें कोई सफलता नहीं मिली थी। इसके बाद मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था जहां पर उन्हें मामले से सफलता प्राप्त हो गई थी।
सं नाग
वार्ता
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