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मध्यप्रदेश,राजस्थान और उत्तरप्रदेश में कुल 74 हजार 900 किसानों काे अफीम उत्पादन के लायसेंस

नीमच, 24 जनवरी (वार्ता) अफीम फसल वर्ष 2019-20 में देश के तीन अफीम उत्पादक राज्य मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तरप्रदेश में केंद्रीय राजस्व विभाग ने लगभग 4 हजार 950 हेक्टेयर क्षेत्र में करीब 74 हजार 900 किसानों को अफीम उत्पादन के लिये लायसेंस जारी किए हैं। सर्वाधिक लायसेंसधारी किसान मध्यप्रदेश में है जबकि उत्पादन के आवंटित रकबा राजस्थान में सबसे ज्यादा है।
केंद्रीय राजस्व विभाग द्वारा केंद्रीय नारकोटिक्स विभाग के माध्यम से मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तरप्रदेश में जीवन रक्षक औषधियों के निर्माण में प्रयोग के लिए अफीम उत्पादन में निर्धारित क्षेत्र में लायसेंस देने की नीति घोषित की जाती है। अफीम फसल वर्ष 2019-20 के लिए निर्धारित नीतिगत मापदण्डों के अनुसार तीनों राज्यों में लायसेंस के लिए पात्र किसानों को पात्रतानुसार 5,6,10 तथा 12 आरी क्षेत्र में अफीम उत्पादन के लायसेंस जारी किए हैं।
अधिकारिक जानकारी के अनुसार मौजूदा वर्ष में तीनों राज्यों में लगभग 74 हजार 900 किसानों को करीब 4 हजार 950 हेक्टेयर क्षेत्र में अफीम उत्पादन के लिए लायसेंस जारी किए गये हैं। मध्यप्रदेश में इस बार 37 हजार 329 किसानों को पट्टे दिए गये हैं। इन किसानों को 2343.76 हेक्टेयर क्षेत्र में अफीम उत्पादन की अनुमति दी गई है। इनमें 17 आरी क्षेत्र का एक लायसेंस कृषि महाविद्यालय की देखरेख में प्रायोगिक उत्पादन से संबंद्ध है।
दूसरी ओर राजस्थान में इस बार 33 हजार 589 किसानों को 2378.63 हेक्टेयर क्षेत्र में अफीम उत्पादन के लिए लायसेंस प्रदान किये गये हैं। स्पष्ट है कि कुल रकबा इस बार मध्यप्रदेश की तुलना में आंशिक मात्रा में ही सही, लेकिन ज्यादा है जबकि पट्टे धारी किसानों की संख्या कम है। उत्तरप्रदेश में लगभग 3982 किसानों को करीब 276.61 हेक्टेयर क्षेत्र में अफीम उत्पादन की अनुमति दी गई है। जहां तक मध्यप्रदेश में अफीम उत्पादन की स्थिति को देखें तो, इस बार 37 हजार 329 किसानों में से 25 हजार 806 किसानों को 6-6 आरी, 7 हजार 344 किसानों को 5-5 आरी, 3 हजार 693 किसानों को 10-10 आरी तथा 485 किसानों को 12-12 आरी क्षेत्र के लिए लायसेंस दिए गये हैं। यह भी गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में कुल आवंटित अफीम उत्पादन क्षेत्र का करीब 95 प्रतिशत भाग नीमच एवं मंदसौर जिले में स्थित है।
प्रतिवर्ष जितने किसानों को लायसेंस जारी किये जाते हैं, वह शत-प्रतिशत रूप से खेती नहीं कर पाते हैं। अनेकों किसान प्राकृतिक स्थितियों तथा अन्य तात्कालीन व्यवहारिक कठिनाइयों के प्रभाव स्वरूप खेती नहीं करते हैं अथवा बोई गई फसल को प्रक्रियानुसार उखाड़वा लेते हैं। इसीलिए अंतिम रूप से फसल वर्ष के लिए आवंटित रकबे से कम मात्रा में ही अफीम उत्पादन होता है। इस श्रेणी के किसानों को अगले वर्ष पुनः लायसेंस की पात्रता होती है।
सं.व्यास
वार्ता
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