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टिड्डी दल से बचाव के लिए सतर्कता जरूरी

अलिराजपुर, 21 मई (वार्ता) मध्यप्रदेश के अलिराजपुर जिले में टिड्डी दल के प्रभाव से बचाव के लिए अभी से सतर्कता बरती जा रही है।
उपसंचालक कृषि कैलाश चंद्र वास्केल ने बताया कि टिड्डी दल राजस्थान से होते हुए नीमच, मंदसौर, रतलाम जिले में आगमन की सूचना प्राप्त हुई है। टिड्डी दल के जिले में भी प्रकोप की आशंका को दृष्टिगत रखते हुए सावधानी बरतना जरूरी है। उन्होंने किसानों से कहा कि वे सतत निगरानी रखे। यह कीट शाम 7 से रात 9 बजे के मध्य विश्राम के लिए कहीं भी बैठ सकते हैं। ऐसा पाये जाने पर इसकी जानकारी तत्काल स्थानीय प्रशासन को दे।
उन्होंने कहा कि यदि टिड्डी का प्रकोप हो गया है तो सभी किसान भाई टोली बनाकर विभिन्न तरह की परम्परागत उपाय जैसे शोर मचाकर, ध्वनि वाले यंत्रों को बजाकर इन्हें भगाया जा सकता है। इसके लिए मांदल, ढोलक, ट्रेक्टर का सायलेंसर निकालकर आवाज की जा सकती है। साथ खाली टीन के डिब्बे, थाली इत्यादि से भी से भी सामूहिक प्रयास से ध्वनि की जा सकती है। ऐसा करने से टिडडी नीचे नहीं आकर फसल वनस्पति पर न बैठते हुए आगे प्रस्थान कर जाते है।
उन्होंने कहा कि शाम के समय टिड्डी दल का प्रकोप हो तो सुबह 4 बजे से सूर्योदय तक कीटनाशी दवा ट्रेक्टर चलित स्प्रे पंप (पॉवर स्प्रेयर) द्वारा जैसे क्लोरपॉयरीफॉस 20 ईसी 1200 मिली या डेल्टामेथरिन 2.8 ईसी 600 मिली अथवा लेम्डाईलोथिन 5 ईसी 400 मिली, डाईफ्लूबिनज्यूरॉन 25 डब्ल्यूटी 240 ग्राम प्रति हेक्टर 600 लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें।
उन्होंने कहा कि टिड्डी दल के आक्रमण के समय यदि कीटनाशी दवा उपलब्ध न हो तो ऐसी स्थिति में ट्रेक्टर चलित पॉवर स्प्रे के द्वारा तेज पानी के बौछार से भी भगया जा सकता है। उन्होंने बताया है कि इस के लिए जिला स्तर पर कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है।
विश्वकर्मा
वार्ता
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