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टंडन ने आजीवन राष्ट्र की सेवा की: शिवराज

भोपाल, 21 जुलाई (वार्ता) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चाैहान ने राज्यपाल लालजी टंडन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए आज कहा कि श्री टंडन के निधन का समाचार दुखद है, वे जीवनभर राष्ट्र सेवा में संलग्न रहे। उनका योगदान सदैव याद किया जायेगा। वह सार्वजनिक जीवन में शुचिता के प्रतीक थे।
आधिकारिक जानकारी में श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में राज्यपाल के रूप में उन्होंने हमेशा जनहित में मार्गदर्शन और प्रेरणा दी। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश में उनके सुझाए नवाचार को हम सबने देखा है। उन्होंने राजभवन में न सिर्फ गौशाला का संचालन करवाया, बल्कि वे स्वयं यह कहते भी थे कि वे इस प्रयोग को सफल करके बताएंगे। वे आने वाले प्रत्येक अतिथि का हृदय से सत्कार करते थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री टंडन राजनीति में आपसी सौहार्द और संबंधों को हमेशा वरीयता दी। हमेशा उनकी सोच यही थी कि राजनीति सेवा का माध्यम है। दल कोई भी हो लेकिन सभी को मिलजुल कर राष्ट्र की सेवा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि 12 अप्रैल 1935 को जन्मे श्री टंडन ने सात दशकों की सुदीर्घ समाज सेवा का सार्वजनिक जीवन बड़ी जीवंतता से जीया। उन्होंने समाज के सभी वर्गों से गहरा तादात्म्य स्थापित किया। सबको साथ लेकर चलने और अजातशत्रु रहकर समाजहित में कार्य करने की अटूट आत्मशक्ति उनके व्यक्तित्व में समाहित थी।
उन्होंने कहा कि निरंतर क्रियाशील रहने के कारण ही जन कल्याणकारी कार्यों की बड़ी लम्बी श्रृखंला उनके खाते में है। वे उन चंद जन नेताओं में रहे। जिन्होंने राष्ट्र सेवा और नैतिक मूल्यों की साधना राजनीति के माध्यम से की और अन्त्योदय की भारतीय अवधारणा को साकार किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सार्वजनिक जीवन की ऐसी उदात्त, व्यापक और तपी हुई पृष्ठभूमि के साथ विधान परिषद में जब वर्ष 1978 में श्री टंडन पहुंचे थे तो वहां भी उन्होंने अपनी छाप छोड़ी और संसदीय मर्यादाओं को नयी ऊंचाइयां दी। उत्तरप्रदेश विधान परिषद के दो बार सदस्य रहने के अलावा उन्होंने वहां नेता सदन की भी भूमिका निभायी। विधान सभा के लिए तीन बार चुने गये। वहां नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में उन्होंने बताया कि विरोध के स्वर कैसे होने चाहिए और शालीन रहकर भी सरकार को जन-आवाज सुनने के लिए किस प्रकार बाध्य किया जा सकता है।
श्री चौहान ने कहा कि उत्तरप्रदेश के वरिष्ठ मंत्री के रूप में तो श्री टंडन का हर कदम प्रगति की एक नयी दास्तान बनता चला गया और नये-नये कीर्तिमान रचे जाने लगे। पांच बार मंत्री के रूप में पदभार ग्रहण करने के साथ उन्होंने उर्जा, आवास, नगर विकास, जल संसाधन जैसे भारी भरकम विभाग संभाले। अपने प्रशासनिक कौशल, दूरदृष्टि और दृढ़संकल्प से श्री टंडन ने उत्तर प्रदेश के करोड़ों नागरिकों को सीधा लाभ पहुंचाया। इन विभागों की दशा और दिशा बदल दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मंत्री के रूप में श्री टंडन द्वारा किये गये सुधार और बदलाव अविस्मरणीय है। अन्त्योदय की भारतीय अवधारणा को साकार करने के लिए दबे-कुचले और वंचित वर्ग के लिए उस समय जो योजनाएं श्री टंडन के नेतृत्व में बनायी गयीं, वे राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित हुईं। पांच रूपये, दस रूपये और पंद्रह रूपये रोज पर दबे-कुचले तबके को मकान का मालिकाना हक दिलाने की स्वप्निल योजना उन्होंने साकार की थी। यही नहीं आवास के साथ एक फलदार वृक्ष और एक दुधारू पशु देने की योजना टंडन जी की बहुआयामी सोच का परिणाम थी।
उन्होंने गरीबी-उन्मूलन के लिए बड़े पैमाने पर जमीनी कार्य हुए। सामुदायिक केंद्र बने, रैन बसेरे बने, मलिन बस्तियों का कायाकल्प हुआ। मथुरा-वृंदावन की खारे पानी की बड़ी समस्या का समाधान हुआ।
श्री चौहान ने कहा कि लोक-कल्याण के लिए कार्य करने की उनकी प्रवृति के चलते उन्होंने ऐतिहासिक कार्य किये। उत्तर प्रदेश में पहली बार गोवध निषेध अधिनियम बना। हरिद्वार में पांच किलोमीटर लंबा घाट जनसहयोग से बनवाना उनकी विलक्षण सोच का नतीजा था। हरिद्वार में कुंभ के लिए इतनी मूलभूत सुविधाओं का विकास उन्होंने करा दिया कि अब वहां कुंभ के आयोजन में बहुत कुछ नया नहीं करना पड़ता है।
अयोध्या मामलों के प्रभारी के रूप में श्रीराम जन्मभूमि न्यास को 42 एकड़ जमीन सौंपने का काम जिस तत्परता और संकल्पबद्धता से श्री टंडन ने किया, उसकी दूसरी मिसाल नहीं मिलती। श्री टंडन के जीवन में असंभव को संभव बनाने का सिलसिला कभी थमा नहीं। वर्ष 2003 में उनके द्वारा एक साथ 1001 योजनाओं का लोकार्पण/शिलान्यास विश्व रिकार्ड के रूप में लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश में 29 जुलाई 2019 को उन्होंने कार्यभार संभाला था। उनके कार्यकाल का एक वर्ष पूर्ण होने ही वाला था। हमें उनके मार्गदर्शन का लाभ और भी मिलता, लेकिन विधि के विधान से ऐसा नहीं हो सका। कर्मयोगी श्री टंडन ने मध्यप्रदेश के राज्यपाल के रूप में अपनी सम्पूर्ण सामर्थ्य-शक्ति को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कायाकल्प के लिए लगा दिया था।
बघेल
वार्ता
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