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जनहित याचिकाओं पर शासन और अन्य पक्षों को निर्देश

इंदौर, 30 सितंबर (वार्ता) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने आज दो अलग-अलग मुद्दों पर दायर जनहित याचिकाओं की सुनवाई करते हुये शासन और अन्य पक्षों को महत्वपूर्ण निर्देश जारी किये है।
अतिरिक्त महाधिवक्ता कार्यालय से मिली आधिकारिक जानकारी के अनुसार आज सुनी गई एक याचिका में स्कूलों में कोरोना काल के दौर में जारी ऑनलाइन शिक्षा को लेकर सवाल उठाये गए थे। याचिका में आरोप लगाया गया था कि जारी ऑनलाइन शिक्षा विद्यार्थियों और अध्यापकों के स्वास्थ्य के प्रतिकूल है। याचिका में कहा गया है कि स्कूलों के द्वारा विद्यार्थियों को किसी दिन दो घंटे तो किसी दिन 8 घंटे तक ऑनलाइन पढ़ाया जाता है। इस तरह के समय बदलाव के चलते विद्यार्थियों और शिक्षकों के स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल असर पड़ रहा है। जिस पर अदालत ने शासन सहित संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया हैं।
इसी याचिका में कहा गया था कि एक तरफ स्कुल संचालक इसी अदालत के द्वारा जारी एक आदेश के आलोक में अभिभावकों से पूरी ट्युशन फ़ीस वसूल रहे हैं। तो दूसरी तरफ शिक्षकों को सामान्य दिनों में दी जाने वाली निशुल्क आवास सुविधा का अब स्कूल संचालक किराया वसूल रहे है, शिक्षकों को तय वेतन भी नहीं दिया जा रहा है। जिस पर आज अदालत ने अंतरिम राहत देते हुये जिला कलेक्टर को इस बिंदु पर शिक्षकों का विधिमान्य हित संरक्षित करने के निर्देश दिए है।
इसी तरह दूसरी जनहित याचिका इंदौर के सांवेर में वर्ष 2002 से निर्माणाधीन जेल को लेकर दायर की गई है। इस याचिका में प्रशासन पर आरोप लगाए गए थे कि 17 करोड़ से ज्यादा खर्च कर 80 एकड़ से ज्यादा के भू-भाग पर निर्माणाधीन इस जेल का निर्माण कार्य वर्ष 2008 से रुका हुआ है। जबकि इंदौर जिले में बढ़ती कैदियों की संख्या और उनकी सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए इस जेल की अतिआवश्यकता वर्ष 2002 से ही महसूस की जा रही है। अदालत ने इससे पहले इस याचिका की सुनवाई करते हुए शासन को नोटिस जारी करते हुए जवाब माँगा था। आज सुनवाई के दौरान शासन ने अदालत के समक्ष जवाब प्रस्तुत करते हुए कहा कि लगभग 60 करोड़ से ज्यादा की राशि जेल निर्माण हेतु स्वीकृत करा ली गई है। जिससे धन अभाव को दूर कर अब पुनः निर्माण कार्य शुरू किया जा सकेगा। जिस पर अदालत ने प्रशासन को निर्माण कार्य पुनः शुरू करने और समय समय पर निर्माण कार्य की प्रगति की स्थिति से अवगत कराने का निर्देश जारी किया है। दोनों ही याचिकाओं की आज सुनवाई प्रशासनिक न्यायमूर्ति एससी शर्मा और न्यायमूर्ति शैलन्द्र शुक्ला की युगलपीठ ने विडिओ कांफ्रेसेंसिग के जरिये की है।
जितेंद्र नाग
वार्ता
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