राज्य » मध्य प्रदेश / छत्तीसगढ़Posted at: Oct 25 2020 10:13PM 400 वर्षों से अनवरत चली आ रही मां महाकाली व मां अंबे भवानी का खप्पर निकालने की परंपराखरगोन, 25 अक्टूबर (वार्ता) मध्यप्रदेश के खरगोन जिला मुख्यालय पर भावसार क्षत्रिय समाज द्वारा महाअष्टमी एवं महानवमी पर 400 वर्ष पुरानी महाकाली एवं मां अंबे भवानी का खप्पर निकालने की परंपरा का भक्ति पूर्ण निर्वहन हुआ।समाज के डॉ. मोहन भावसार और धर्मेंद्र भावसार ने बताया कि भावसार क्षत्रिय समाज द्वारा शारदीय नवरात्रि की महाअष्टमी तथा महानवमी के ब्रह्म मुहूर्त में खप्पर निकालने की परंपरा करीब 402 वर्ष पुरानी है। परंपरा अनुसार मां अंबे भवानी तथा माता महाकाली का स्वांग रचने वाले कलाकार एक ही कुनबे के होते हैं। मां अंबे भवानी तथा माता महाकाली के पूर्व भगवान श्री गणेशजी, श्री हनुमान जी और अंत में श्री नरसिंह भगवान तथा हिरण्यकश्यप का रूप भी धारण किया जाता है।इस प्रकार के ईश्वरीय स्वरूप आज के कलयुग में जब भक्तों के बीच प्रकट होते ही तो आनंद की अलौकिक अनुभूति होती है। यह सभी ईश्वरीय स्वरूप अधिष्ठाता भगवान श्री सिद्धनाथ महादेव के दर्शन के पश्चात ही निकलते हैं। इसके अलावा कार्यक्रम में समा बांधने के लिए भूत-पिशाच आदि भी निकलते है। शुक्रवार को मां अंबे भवानी तथा शनिवार को ब्रह्म मुहूर्त में माता महाकाली का खप्पर निकाला है। इस परंपरा की शुरुआत सर्वप्रथम झाड़ (दीप स्तंभ) की विशेष पूजन अर्चना से होता है। इस दौरान प्राचीन निमाड़ी गरबियों की प्रस्तुतियां भी दी गई। सं विश्वकर्मावार्ता