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विरले और असाधारण रोग से जूझ रहे व्यक्ति ने लगायी पीएमओ में गुहार

भोपाल, 26 नवंबर (वार्ता) मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में विरले और असाधारण असाध्य रोग 'स्टिफ पर्सन सिंड्रोम' से ग्रसित व्यक्ति ने अपने इलाज में महत्वपूर्ण औषधि साबित हुए 'इंजेक्शन' को लेकर संबंधित अस्पताल से मिलने में कथित तौर पर दिक्कत होने पर इन्हें उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय में गुहार लगायी है।
विश्व की भीषणतम औद्योगिक त्रासदियों में से एक (भोपाल गैस रिसाव) से पीड़ित यहां के अप्सरा टॉकीज क्षेत्र के 38 वर्षीय निवासी नितिन मलकानी को यूं तो अपनी बूढ़ी मां का सहारा बनना चाहिए था, लेकिन विश्व की दुर्लभ बीमारियों में से एक 'स्टिफ पर्सन सिंड्रोम' से पीड़ित होने के चलते उनकी बूढ़ी मां प्रिया मलकानी को नितिन का सहारा बनना पड़ रहा है। रोग से जुड़ी जटिलताओं का अपने जज्बे और उच्च मनोबल की बदौलत मुकाबला करते आ रहे नितिन से बातचीत के दौरान अहसास ही नहीं हो पाता है कि वे पिछले कुछ सालों से उस असाध्य रोग का मुकाबला कर रहे हैं, जिसके पीड़ित देश ही नहीं विश्व में भी काफी कम हैं।
बेटे की असहनीय तकलीफों से दुखी प्रिया कहती हैं कि पति बृजलाल मलकानी के निधन के बाद नितिन ही अपनी मोबाइल फोन रिपेयरिंग की दुकान से घर का गुजर-बसर करता है, लेकिन उसकी अजीब बीमारी के दर्द के चलते फिलहाल वह अपनी दुकान भी नहीं जा पा रहा। बूढ़ी मां कहती हैं 'दिल करता है कि दिन भर उसके हाथ पांव दबा कर उसका दर्द कम करते रहूं।'
नितिन बताते हैं कि लगभग 20 वर्ष पूर्व उनके शरीर का मध्य भाग अकड़ने लगा था और कई सालों तक विशेषज्ञों को उसके दर्द का कारण पता ही नहीं चला। कक्षा 12 के बाद उसे अपनी पढ़ाई छोड़ना पड़ी। दर्द बढ़ने पर वर्ष 2006 में बड़ी आंत के कैंसर का पता चला और ऑपरेशन के एक साल बाद तक सब कुछ ठीक-ठाक चला, लेकिन उसके बाद की जिंदगी में दर्द के सिवा कुछ नहीं बचा। हालात यह हो गए कि वह इस 'डिसऑर्डर' के चलते कई बार गिरकर घायल भी हो गया। बड़ी बहन और पेशे से अधिवक्ता की शादी हो जाने और पिता के गुजर जाने के बाद बूढ़ी मां के साथ रह रहे नितिन इतनी परेशानियों के बावजूद आत्मविश्वास से भरे हुए हैं और जीवन के संघर्ष में हार मानने को तैयार नहीं है। उनका 'फेसबुक स्टेटस' भी इसी बात को बयां करता है।
नितिन का कहना है कि वह जिस 'स्टिफ पर्सन सिंड्रोम' नाम के रोग से ग्रसित है, वह काफी कम लोगों में पाया जाता है। इस बीमारी में शरीर का मध्य भाग अकड़ कर बुरी तरह दर्द देने लगता है और उसके बाद निचला हिस्सा और शरीर के अन्य अवयव भी इसी तरह प्रभावित हो जाते हैं। मांसपेशियों में खिंचाव का बल कई बार हड्डियों को भी तोड़ देता है। उन्हें तेज आवाज से भी डर लगता है। उन्होंने बताया कि कई अस्पतालों और विशेषज्ञों के चक्कर लगाने के बाद सन 2014 में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल के 'एडीशनल प्रोफेसर ऑफ न्यूरोलॉजी' डॉ नीरेंद्र राय ने उनकी इस बीमारी का पता लगाया। उन्होंने नितिन को एम्स दिल्ली भेजा, जहां पद्मश्री डॉक्टर एम वी पद्मा श्रीवास्तव ने भी नितिन के इस रोग से ग्रस्त होने पुष्टि की और बताया कि नितिन 'स्टिफ पर्सन सिंड्रोम' 'जी ए डी पॉजिटिव' से ग्रसित है।
डॉ राय ने यूनीवार्ता को बताया कि यह 'ऑटोइम्यून डिसीज' है। इस बीमारी में शरीर की अपने खिलाफ ही स्पेशल एंटीबॉडीज बन जाती है और यह कुछ विशेष तंत्रिकाओं पर आक्रमण करती हैं, जिसके चलते पूरा शरीर सख्त (कड़ा) हो जाता है। इस बीमारी में शरीर की एंटीबॉडी न्यूरॉन में उपस्थित प्रोटीन, ग्लूटेमिक एसिड डीकार्बोसाइलेस (जीएडी) पर आक्रमण कर गामा एमिनोब्यूट्रिक एसिड (जीएबीए) के स्तर को विचलित कर मांसपेशियों पर नियंत्रण कमजोर कर देती है। डॉ राय ने बताया कि 'प्लाज्मा एक्सचेंज' और 'इंट्रावीनियस इम्यूनोग्लोबुलिन' (आईवीआईजी) की प्रक्रिया उत्साहवर्धक नहीं रहने पर 2018 में उन्होंने नितिन पर एक विशेष इंजेक्टशन 'रिटूक्सिमेब' का प्रयोग किया] जिसके चलते उसे दर्द में काफी राहत मिली और वह आसानी से चलने फिरने में सफल हो गया।
डॉ राय ने स्वीकार किया कि नितिन को यहां भोपाल गैस पीड़ितों के इलाज के लिए बने विशेष अस्पताल भोपाल मैमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) ने पूर्व में निशुल्क महंगे इंजेक्शन प्रदान किए हैं और इन इंजेक्शनों की नितिन को अभी भी सख्त आवश्यकता है।
वहीं नितिन ने बताया कि पूर्व में उसे ये इंजेक्शन बीएमएचआरसी द्वारा न्यूरोलॉजिस्ट की टेस्ट रिपोर्ट के आधार पर उपलब्ध करा दिए जाते थे, लेकिन फिलहाल ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है। नितिन ने स्वयं के शारीरिक और मानसिक तौर पर परेशान होने का हवाला देते हुए बताया कि काफी प्रयास करने के बाद विफल रहने पर उसने आखिरकार पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख यह इंजेक्शन उपलब्ध करवाने का अनुरोध किया है। उसने बताया कि पूर्व में भी दो बार प्रधानमंत्री कार्यालय से ही उसकी मदद हुई है।
नितिन ने दुकान मालिक तेजेंद्र सिंह सलूजा और उनके पिता के कई मित्रों ने उनकी समय रहते मदद की है, लेकिन तकलीफदेह दर्द से जुड़ा संघर्ष उनका अपना है। उन्होंने बताया कि इस तरह के मरीजों की बीमारी समय रहते पता चल जाने और उपचार आरंभ हो जाने से उनकी तकलीफें कुछ कम होने में मदद मिलती है।
सं प्रशांत
वार्ता
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