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शिवराज ने महत्वपूर्ण अध्यादेशाें के बारे में बताया

भोपाल, 29 दिसंबर (वार्ता) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कहा कि नागरिकों को निर्धारित समय-सीमा में लोक सेवाएं प्रदान करना सुनिश्चित करने के लिए अध्यादेश लाया जा रहा है।
श्री चौहान ने कहा कि अब चिन्हित की गई लोकसेवा तय समय-सीमा में अधिकारी द्वारा प्रदाय नहीं की जाती हैं, तो वे सेवायें अपने आप ही नागरिकों को मिल जावेगी। इसे 'डीम्ड सेवा' कहा जावेगा। उन्होंने इसे जनहित में राज्य सरकार का क्रांतिकारी कदम बताया है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार श्री चौहान ने यहां मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद कहा कि जो लोक सेवायें मध्यप्रदेश लोक सेवा प्रदाय गारंटी अधिनियम के तहत तय समय-सीमा में अधिकारी द्वारा आवेदक को प्रदान करनी होती है और तय समय-सीमा में आवेदक को प्रदाय नहीं होने पर अधिकारी पर जुर्माना लगाया जाता है। जुर्माने में मिली राशि आवेदक को दी जाती है। इस प्रावधान को जनहित में और प्रभावी बनाया गया है। इस अधिनियम में अध्यादेश के माध्यम से संशोधन कर प्रावधान किया जा रहा है कि सेवा प्रदाय की तय सीमा-सीमा तक यदि सेवा आवेदक को अधिकारी द्वारा प्रदाय नहीं की जाती है तो वे सेवायें स्वत: ही निर्धारित समय-सीमा के बाद आवेदक को मिल जाएंगी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम में अध्यादेश के जरिए संशोधन कर महिलाओं, बेटियों, विशेषकर नाबालिक बेटियों, अनुसूचित जाति, जनजाति के बहनों-भाईयों का नियम विरुद्ध धर्म परिवर्तन कराने पर कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। इसमें न्यूनतम 2 वर्ष से लेकर अधिकतम 10 वर्ष तक का कारावास और 50 हजार रुपये का अर्थदण्ड दिया जा सकता है। लोभ, लालच, भय, प्रलोभन, परिचय छिपाकर धर्म परिवर्तन कराने या कुत्सित इरादों से धर्मांतरण कराने पर दण्ड दिया जा सकेगा। ऐसे अपराध बड़े पैमाने पर मध्यप्रदेश में हो रहे हैं। इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। अपना धर्म छिपाकर या गलत व्याख्या कर धर्म परिवर्तन कराने पर कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है।
उन्होंने कहा कि अधिनियम विरुद्ध दो या अधिक व्यक्तियों का एक ही समय में सामूहिक धर्म परिवर्तन किये जाने पर न्यूनतम पांच वर्ष से अधिकतम 10 वर्ष तक कारावास और न्यूनतम एक लाख रुपये का अर्थदण्ड का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति का धर्म परिवर्तन अधिनियम के प्रावधानों के विरुद्ध किया गया है उसके माता-पिता, भाई-बहन इसकी शिकायत पुलिस थाने में कर सकेंगे। पीड़ित व्यक्ति के अन्य सगे संबंधी, कानूनी अभिभावक और दत्तक के संरक्षक भी परिवाद के माध्यम से सक्षम न्यायालय से आदेश प्राप्त कर सकेंगे। प्रस्तावित अधिनियम के अंतर्गत दर्ज किए गए अपराध संज्ञेय और गैर जमानती होंगे। उनकी सुनवाई के लिए सत्र न्यायालय ही अधिकृत होगा।
श्री चौहान ने कहा कि मिलावट एक भयानक अपराध है। खाद्‌य पदार्थों और दवाईयों में यहां तक कि कोरोना संक्रमण के इलाज के उपयोग होने वाले प्लाज्मा में और कोरोना की वैक्सीन में मिलावट के समाचार मिले हैं। इससे बड़ा अपराध हो सकता है क्या। यह लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ है। यह किसी भी कीमत पर मध्यप्रदेश में नहीं चलने दिया जावेगा। इसके लिए भी कैबिनेट की बैठक में अध्यादेश का अनुमोदन किया गया है। भारतीय दण्ड संहिता की धारा 272, 273, 274, 275 और 276 में संशोधन कर 6 माह के कारावास और एक हजार रुपये तक के जुर्माने के स्थान पर आजीवन कारावास और जुर्माना प्रतिस्थापित किया गया है। मिलावट करने वाले को आजीवन कारावास होगा। इस अध्यादेश में मिलावट कर सामग्री बनाने वाले को दण्ड का प्रावधान किया गया है। व्यापारी को दण्ड नहीं मिलेगा। जहां वस्तु बनती है, दोषी उस कारखाने का मालिक होगा। उसे किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेंगे।
प्रशांत
वार्ता
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