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पक्षियों में विकसित क्षमता की वजह से बर्ड फ्लू के मामलों में कमी

इंदौर, 17 जनवरी (वार्ता) मध्यप्रदेश के इंदौर जिले में मौसम के बदलाव और पक्षियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकसित होने की वजह से बर्ड फ्लू के मामलों में कमी दर्ज की जा रही हैं।
पशु चिकित्सा विभाग के उप संचालक डॉ प्रमोद शर्मा ने बताया कि जिले में पहले की तुलने में मृत पक्षियों के इक्का-दुक्का मामले ही सामने आ रहे हैं। उन्होंने अब तक 360 से ज्यादा पक्षियों की मौत सामने आई हैं। इनमें से कुछ ही पक्षियों में एन-5,एच-8 वायरस मिला हैं। जो अब तक के अध्यन में मानव स्वास्थ्य के लिए प्रतिकूल नहीं पाया गया हैं।
डॉ. शर्मा ने बताया इस बीच मौसम में आया बदलाव और पक्षियों के द्वारा वायरस से लड़ने, बचने की क्षमता करने के भी प्रमाण कुछ अध्ययनों में मिले हैं, जो बर्ड फ्लू की रोकथाम में प्राकृतिक रूप से सहायक हैं। इस बीच इंदौर के पक्षियों के जमावड़े वाले केंद्र रीगल चौराहा, नेहरू पार्क, राजकुमार पुल, मेघदूत जैसे अनेक स्थानों पर एंटीबायोटिक जल रखा जा रहा हैं।
यहां के कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय के प्रभारी डॉ. उत्तम यादव ने बताया कि बर्ड फ्लू से संग्रहालय पूरी तरह सुरक्षित हैं। उन्होंने बताया कि मामले सामने आने के बाद एहतियातन बाहरी पक्षियों के प्रवेश पर रोक लगाए जाने के प्रबंध किए गए, पक्षियों को दाना पानी के साथ एंटीबायोटिक भी दिया जा रहा हैं। यहां रह रहे सभी प्रजातियों के 500 से ज्यादा पक्षी स्वस्थ हैं।
इंदौर जिला प्रशासन ने भी 7 दिनों तक मुर्गे-मुर्गियों और अंडों के क्रय-विक्रय पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया है। केवल जिले के डेली कॉलेज क्षेत्र को केंद्र मानते हुए उसके आसपास के एक किलोमीटर के वर्त्ताकार दायरे में क्रय-विक्रय पर रोक जारी हैं। इसी जगह सबसे पहले बर्ड फ्लू के मामले सामने आए थे।
पशु- पक्षियों के मामलों के दोनों विशेषज्ञ डॉ शर्मा और डॉ यादव ने ये भी कहा कि बर्ड फ्लू अभी पूरी तरह खत्म हो गया हैं, ये नहीं कहा जा सकता है। दोनों ने एकमत होकर कहा कि बर्ड फ्लू का अब तक सामने आया ‘एन-5, एच-8’ वायरस मनुष्यों के लिए प्रतिकूल नहीं हैं।
जितेंद्र विश्वकर्मा
वार्ता
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