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महेश्वर किले के मालिकाना हक को लेकर दायर याचिका पर उच्च न्यायालय का नोटिस

इंदौर, 20 जनवरी (वार्ता) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने आज इंदौर संभाग में 18 वीं शताब्दी में निर्मित ऐतिहासिक ‘महेश्वर किले’ के मालिकाना हक को लेकर दायर एक पुनः विचार याचिका पर राज्य शासन समेत एक दर्जन संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी कर, चार सप्ताह में जवाब तलब किया।
न्यायाधीश सुजॉय पॉल और न्यायाधीश शैलन्द्र शुक्ला की युगलपीठ ने नोटिस जारी किये हैं। याचिका तत्कालीन होल्कर राजवंश के वंशज रिचर्ड होल्कर ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि स्वर्गीय महाराजा यशवंत राव होल्कर द्वितीय की स्वर्गीय पत्नी और महारानी अनुराधा दुबे के मुख्यतारनामे (पॉवर ऑफ़ अटर्नी) के जरिये याची रिचर्ड होल्कर का महेश्वर के किले पर मालिकाना हक है। लिहाजा किले के मालिकाना हक राज्य सरकार और खासगी ट्रस्ट से लेकर उन्हें सौंपा जाये।
इससे पहले 5 अक्टूबर 2020 को उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने ही एक जनहित याचिका समेत संबंधित विषय पर दायर दो अन्य याचिकाओं का निराकरण करते हुए एक आदेश जारी किया है। इस आदेश में अदालत ने होल्कर राजवंश की 250 से ज्यादा ऐसी संपत्तियों को जिसकी देखरेख करने का दायित्व खासगी ट्रस्ट के पास हैं, इन सभी सम्पत्तियों को मध्यप्रदेश शासन को अपने अधिकार में लेने का आदेश दिया है।
इसके फलस्वरूप राज्य शासन ने महेश्वर का किला सहित 150 से ज्यादा संपत्तियों को अपने अधिकार में ले लिया है। इसी बीच खासगी ट्रस्ट ने उच्च न्यायालय के उक्त आदेश को उच्चतम न्यायालय के समक्ष चुनौती दी थी।
रिचर्ड होल्कर द्वारा दायर पुनः विचार याचिका में सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव, इंदौर के संभागायुक्त, इंदौर कलेक्टर और खरगोन समेत एक दर्जन जिम्मेदारों और संबंधितों को पक्षकार बनाया गया है। याचिका की आगामी सुनवाई 19 फरवरी 2021 को नीयत की गई है। राज्य शासन की ओर से आज अदालत के समक्ष पैरवी करने के लिए उपस्थित रहे अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्य मित्र भार्गव ने बताया की उन्हें अदालत ने जवाब देने के आदेश दिए हैं।
जितेंद्र बघेल
वार्ता
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