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उच्च तकनीकी शिक्षण संस्थानों में मातृभाषा में अध्ययन का कार्य शीघ्र प्रारंभ होने की उम्मीद

भोपाल, 23 जनवरी (वार्ता) केंद्र सरकार की ओर से घोषित नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बेहतर क्रियान्वयन की दिशा में कार्य कर रहे शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव अतुल कोठारी का कहना है कि देश के उच्च तकनीकी शिक्षण संस्थानों में मातृभाषा में अध्ययन और अध्यापन का कार्य शीघ्र प्रारंभ होने की उम्मीद है।
श्री कोठारी ने यहां पत्रकार वार्ता में कहा कि पिछले वर्ष घोषित की गयी नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा में अध्ययन और अध्यापन के कार्य पर जोर दिया गया है। उच्च शिक्षण संस्थानों में भी इस दिशा में प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि एक दो साल में उत्तरप्रदेश के कुछ उच्च शिक्षण संस्थानों में मातृभाषा में अध्यापन का कार्य शुरू होने की उम्मीद है। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि आने वाले एक दशक में इस तरह के काफी शिक्षण संस्थानों में मातृभाषा में अध्यापन का कार्य सुचारु ढंग से चलने लगेगा।
श्री कोठारी ने दक्षिण कोरिया और कुछ अन्य देशों का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने तकनीकी के क्षेत्र में बहुत तरक्की की है और यह कार्य उन्होंने मातृभाषा को बढ़ावा देकर ही किया है। इसी तरह की प्रक्रिया अब देश में भी प्रारंभ हुयी है और इस दिशा में सकारात्मक माहौल भी दिखायी दे रहा है। उन्होंने कहा कि क्रमबद्ध तरीके से आगे बढ़कर मातृभाषा में अध्यापन के कार्य के क्षेत्र में तय लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं।
श्री काेठारी ने नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रमुख बिंदुओं का जिक्र करते हुए कहा कि देश में शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तन की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। इस नीति में मुख्य रूप से चरित्रवान, उत्तरदायी, अनुशासित और राष्ट्रभक्त युवाओं के निर्माण पर जोर दिया गया है। न्यास ने भी इस शिक्षा नीति के बेहतर ढंग से क्रियान्वयन करने का कार्य पूरे देश में प्रारंभ किया है।
श्री कोठारी का कहना है कि जब तक छात्र आत्मनिर्भर नहीं होगा, आत्मनिर्भर देश नहीं बन सकता है। इसलिए न्याय आत्मनिर्भर भारत में शैक्षिक संस्थानों की भूमिका सुनिश्चित करते हुए पूरे देश में अभियान चला रहा है। मध्यप्रदेश में भी इस दिशा में कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि झाबुआ और सागर जिले में इस दिशा में बेहतर कार्य हुए हैं।
प्रशांत
वार्ता
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