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निराश्रित वृध्दजनों के मामले में दो निगम कर्मी बर्खास्त

इंदौर, 29 जनवरी (वार्ता) मध्यप्रदेश के इंदौर नगर निगम के कर्मचारियों द्वारा निराश्रित वृद्धजनों के साथ किये गए अमानवीयता का मामला सामने आने के बाद दो संविदा निगम कर्मियों की सेवाएं बर्खास्त कर दी गई हैं। उधर, इसी मामले में राजनीति भी शुरू हो गई है।
इंदौर नगर निगम के उपायुक्त अभय राजनगांवकर ने संवाददाताओं को बताया कि निगम के एक ट्राले में कुछ वृद्धजनों को भरकर क्षिप्रा छोड़े जाने का मामला संज्ञान में आया है। इसके बाद दो निगम कर्मियों को प्रथम दृष्टया दोषी पाते हुए उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गयी हैं। उन्होंने कहा पूरे मामले की जानकारी और अन्य साक्ष्य निगम आयुक्त प्रतिभा पाल को सौंपे गए हैं। इस मामले में जांच जारी है। जांच रिपोर्ट के आधार आगामी कार्रवाई जारी है।
इससे पहले इस घटना से संबंधित वीडियों के आज सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद यहां का प्रशासनिक महकमा सक्रिय हो गया। वीडियों पर कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने राजनीतिक टिप्पणी की है।
उधर, इस घटनाक्रम के वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल करने वाले राजेश जोशी ने बताया कि उनकी इंदौर की सीमा से लगे क्षिप्रा में मुंबई-आगरा राजमार्ग पर एक चाय की दुकान है। आज दोपहर में यहां नगर निगम के एक ट्राले में भरकर कुछ वृद्ध महिलाओं समेत एक दर्जन से ज्यादा वृद्धजनों को लाया गया था। उन्हें बेहद अमानवीय तरीके से ट्राले से नीचे उतारा जा रहा था। इस दौरान उन्होंने कुछ ग्रामीणों को एकत्र बुजुर्गो को इस तरह छोड़े जाने का विरोध किया। इसके बाद ग्रामीणों का आक्रोश देखते हुए निगमकर्मी इन बुजुर्गो को लेकर पुनः इंदौर की ओर लेकर रवाना हो गए।
निगम उपायुक्त ने संवाददाताओं द्वारा यह पूछे जाने पर कि वर्तमान में यह बुजुर्गजन कहा हैं। किस हाल में हैं। उन्हें कहा रखा गया हैं। किसके निर्देश पर उन्हें बाहर छोड़ा जा रहा था, इसमें और कौन कौन शामिल है जैसे प्रश्नो का उत्तर नहीं दिया। उन्होंने कहा कि जांच के बाद वे इन प्रश्नो का उत्तर दे सकेंगे।
जितेंद्र बघेल
वार्ता
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