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मध्यप्रदेश शिवराज वन दो अंतिम भोपाल

इस अवसर पर उन्हाेंने कहा कि वन क्षेत्र का विस्तार जनता के सहयोग से ही हुआ है। इसमें वन समितियों का कार्य सराहनीय है। झाबुआ इसकी मिसाल है। कृषि वानिकी को बढ़ाने की आवश्यकता है। इन्दौर में कार्बन क्रेडिट की दिशा में समाज के स्तर पर हुए कार्य की प्रशंसा की।
उन्होंने कहा कि अपनी जमीन पर लगे पेड़ों के उपयोग के संबंध में नियमों के सरलीकरण की जरूरत है। वनाधारित गतिविधियों और वनोपज के विक्रय में रोजगार के अवसर बढ़ाने की आवश्यकता है। कोरोना काल में वन औषधियों का महत्व बढ़ा है। हमें वन क्षेत्र से लकड़ी के अलावा और किन-किन गतिविधियों से आय हो सकती है, इस पर विचार करना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वन अमले की सुरक्षा हर हाल में सुनिश्चित की जाएगी। प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद में वन का योगदान दो प्रतिशत है। इसे बढ़ाकर हमें पांच प्रतिशत करना है। आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण के लिए निर्धारित रोडमैप के तहत वन विभाग से संबंधित लक्ष्यों को समय-सीमा में पूरा करने की आवश्यकता है। उन्होंने स्थानीय जलवायु के अनुसार प्राकृतिक रूप से लगने वाली वृक्ष प्रजातियों को वृक्षारोपण में महत्व देने की आवश्यकता बताई।
इस कार्यशाला में वन मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह, प्रमुख सचिव वन अशोक वर्णवाल, प्रधान मुख्य वन संरक्षक राजेश श्रीवास्तव उपस्थित रहे।
विश्वकर्मा
वार्ता
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