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कोई बंधुआ मजदूर नहीं बनेगा नए कृषि कानूनों से - शिवराज

भोपाल, 24 फरवरी (वार्ता) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज विधानसभा में कहा कि नए कृषि कानूनों के कारण कोई भी किसान बंधुआ मजदूर नहीं बनेगा।
श्री चौहान ने राज्यपाल के अभिभाषण पर पेश किए गए कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ द्वारा चर्चा में शामिल होने के दौरान हस्तक्षेप करते हुए यह बात कही। दरअसल श्री कमलनाथ ने चर्चा के दौरान कहा कि अभिभाषण में कृषि कानूनों को लेकर भी जिक्र किया जा सकता था। उन्होंने तीनों केंद्रीय कृषि कानूनाें का जिक्र करते हुए इन्हें सरल भाषा में समझाने का प्रयास किया और कहा कि इन कानूनों के कारण हमारे किसान 'परमानेंट बंधुआ मजदूर' बन जाएंगे।
श्री चौहान ने तत्काल हस्तक्षेप करते हुए कहा कि बंधुआ मजदूर बनने का सवाल ही पैदा नहीं होता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे प्रत्येक बात का जवाब देंगे, लेकिन इस समय इसलिए हस्तक्षेप करना पड़ रहा है, ताकि कोई गलत संदेश नहीं जाए।
इसके पहले श्री चौहान ने श्री कमलनाथ द्वारा अपनी बात रखे जाने के दौरान पूर्व में भी हस्तक्षेप किया और कहा कि वे चाहते हैं कि जब मैं (श्री चौहान) जवाब दूं, तो श्री कमलनाथ सदन में मौजूद रहकर उनकी बात को अवश्य सुनें।
श्री कमलनाथ की बात पूरी होने पर संसदीय कार्य मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने भी अध्यक्ष गिरीश गौतम की ओर मुखातिब होते हुए कहा कि वे चाहते हैं कि जब मुख्यमंत्री अपनी बात रखें, तो श्री कमलनाथ अवश्य सदन में मौजूद रहें और इस बात को सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इस पर श्री गौतम ने कहा कि वे श्री कमलनाथ की सुविधा अनुसार समय तय करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि श्री चौहान के जवाब के दौरान श्री कमलनाथ मौजूद रहें। श्री कमलनाथ ने भी आश्वासन दिया कि वे इस बात का पूरा प्रयास करेंगे।
दरअसल राज्यपाल के अभिभाषण पर पेश किए गए धन्यवाद प्रस्ताव और विपक्ष की ओर से पेश किए गए संशोधन प्रस्तावों पर आज सदन में एक साथ चर्चा प्रारंभ हुयी है, जो कल शाम तक चलने की संभावना है। कल मुख्यमंत्री भी अपनी बात रखेंगे।
इसके पहले आज सदन में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा की शुरूआत सत्तारूढ़ दल भाजपा के वरिष्ठ विधायक डॉ सीतासरन शर्मा ने की। उन्होंने 15 माह की पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार और मौजूदा 11 माह की सरकार के कार्यों की तुलना करते हुए अपनी बात रखी और धन्यवाद प्रस्ताव का समर्थन किया। इसके बाद श्री कमलनाथ ने लगभग आधा घंटे तक अपनी बात रखी और धन्यवाद प्रस्ताव का विरोध करते हुए संशोधनाें का समर्थन किया।
प्रशांत
वार्ता
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