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मध्यप्रदेश विस आर्थिक सर्वेक्षण दो अंतिम भोपाल

सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2011 12 के स्थिर भावों पर मध्यप्रदेश के सकल घरेलु उत्पाद में वित्त वर्ष 2019 20 की तुलना में वर्ष 2020 21 (अग्रिम) में 3़ 37 प्रतिशत की कमी रही, जबकि वर्ष 2019 20 में वर्ष 2018 19 की तुलना में 9़ 63 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी। आधार वर्ष 2011 12 के स्थिर भावों पर प्रदेश का सकल घरेलु उत्पाद 3,15,562 करोड़ रुपए था, जो वर्ष 2019 20 एवं 2020 21 में बढ़कर क्रमश: 5,80,406 करोड़ रुपए एवं 5,60,845 करोड़ रुपए हाे गया। इस तरह 2019 20 की तुलना में 2020 21 में कमी दर्ज की गयी।
सर्वेक्षण के अनुसार 2020 21 के अग्रिम अनुमानों के अनुसार राज्य के सकल घरेलु उत्पाद में वर्ष 2019 20 की तुलना में प्रचलित भावों पर 2़12 प्रतिशत तथा स्थिर भावों पर 3़ 37 प्रतिशत की कमी रही। वर्ष 2020 21 के दौरान विगत वर्ष से प्राथमिक क्षेत्र में 2़ 57 प्रतिशत की वृद्धि आकलित की गयी है। इसी प्रकार द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में क्रमश: 3़ 90 प्रतिशत की और 8़ 94 प्रतिशत की कमी अनुमानित रही है।
सर्वेक्षण के मुताबिक 2011 12 के आधार पर प्रति व्यक्ति शुद्ध आय वर्ष 2019 20 में 62,236 थी, जो घटकर वर्ष 2020 21 में 58,425 रुपए हो गयी। पिछले वर्ष की तुलना में यह कमी 6़ 12 प्रतिशत की रही। प्रचलित भावों के आधार पर राज्य की शुद्ध प्रति व्यक्ति आय 2019 20 में 1,03,288 रुपए से घटकर वर्ष 2020 21 में 98,418 हो गयी है, जो 4़ 71 प्रतिशत की कमी दर्शाती है।
वर्ष 2004 05 से मध्यप्रदेश में राजस्व आधिक्य प्रदेश रहा है। ब्याज भुगतान का राजस्व प्राप्तियों से अनुपात 10 प्रतिशत से अधिक रहा है। वर्ष 2020 21 में राजस्व प्राप्तियां 1,36,596 करोड़ रुपए अनुमानित हैं, जो पिछले वर्ष से 8़ 05 प्रतिशत कम है। वर्ष 2019 20 में राज्य का प्राथमिक घाटा 18,942 करोड़ रुपयों था, जो अगले वर्ष 2020 21 में बढ़कर 30,899 करोड़ रुपए होने का अनुमान है।
इसके अलावा राज्य के खनन राजस्व में 15़ 85 प्रतिशत कमी दर्ज की गयी। 31 मार्च 2020 की स्थिति के अनुसार राज्य का शुद्ध लोक ऋण 1,59,008 करोड़ रुपए हो गया है।
सर्वेक्षण के अंत में कहा गया है कि राज्य में प्रति हजार जीवित जन्म पर शिशु मृत्यु दर 48 है, जो राष्ट्रीय स्तर पर शिशु मृत्यु दर 32 प्रति हजार से अधिक है। इसी तरह मातृत्व मृत्यु दर प्रति एक लाख प्रसवों पर 173 है, जो राष्ट्रीय दर 130 से काफी अधिक है। प्रदेश के स्वास्थ्य सूचकांकों को राष्ट्रीय स्तर के समकक्ष लाना एक प्रमुख चुनौती है।
प्रशांत
वार्ता
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