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सखलेचा ने न्यूक्लियर गैलरी का उद्घाटन किया

भोपाल, 01 मार्च (वार्ता) मध्यप्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा ने आज मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् (मेपकॉस्ट) परिसर में मिनिएचर न्यूक्लियर गैलरी का उद्घाटन किया।
श्री सखलेचा ने ‘ऊर्जा के क्षेत्र में विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं अन्वेषण की भूमिका-अवसर एवं चुनौतियाँ’ विषय पर वैज्ञानिक परिचर्चा में कहा कि मूल विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान करना एक अंधी सुरंग में हीरे की तलाश करने जैसा है। हमारे देश का प्राचीन विज्ञान का इतिहास गौरवशाली और उपलब्धियों का रहा है। नालन्दा जैसा विश्वविद्यालय दुनिया में कहीं नहीं है। विज्ञान के हर क्षेत्र में यहाँ अनुसंधान हुआ है। परीक्षाओं में अधिक से अधिक नंबर प्राप्त कर लेना विज्ञान नहीं है। विज्ञान जीवन में चुनौतियों से मुकाबला करने और अवसरों को खोजने की राह प्रशस्त करता है।
न्यूक्लियर ऊर्जा को लेकर आम लोगों के बीच अनेक प्रकार की धारणाएँ और भ्रांतियाँ प्रचलित हैं। अधिकांश लोग यही समझते हैं कि न्यूक्लियर ऊर्जा का इस्तेमाल परमाणु बम के निर्माण में किया जाता है। लेकिन ऐसा नहीं है। न्यूक्लियर ऊर्जा का उपयोग बिजली उत्पादन से लेकर कृषि और कई बीमारियों के इलाज में हो रहा है। न्यूक्लियर ऊर्जा के सकारात्मक और शांतिपूर्ण कार्यों में उपयोग के लिए म.प्र. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् (मेपकॉस्ट) परिसर में मिनिएचर न्यूक्लियर गैलरी की स्थापना की गई है। गैलरी की स्थापना न्यूक्लियर पॉवर कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के सहयोग से की गई है।
श्री सखलेचा ने कहा कि इक्कीसवीं सदी सौर ऊर्जा की है। भारत इस क्षेत्र में आत्म-निर्भर होने की ओर तेजी से अग्रसर है। उन्होंने कहा कि आज के दौर में हाइड्रोजन आधारित और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि समाज में व्याप्त अंधविश्वासों को दूर करने में विज्ञान की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि मैंने विभिन्न देशों की यात्राओं के दौरान विज्ञान के बारे में अपनी जिज्ञासाओं का समाधान किया है।
विशिष्ट अतिथि एडीशनल चीफ इंजीनियर, एनपीसीआईएल के.एस. शर्मा ने कहा कि विज्ञान परिषद् के परिसर में गैलरी की स्थापना का मुख्य उद्देश्य आम लोगों को परमाणु विज्ञान और न्यूक्लियर ऊर्जा के विविध क्षेत्रों में उपयोग से परिचित कराना और जागरूकता बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि ज्ञान का विस्तार ही विज्ञान है।
परिषद् के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी ने कहा कि वैज्ञानिकों से समाज को बड़ी अपेक्षाएँ हैं। उन्होंने बताया कि परिषद ने नई विज्ञान नीति एसटीआईपी-2020 के मसौदे को तैयार करने में दो राज्यों का नोडल एजेंसी के रूप में प्रतिनिधित्व किया है।
इस अवसर पर विज्ञान लोकव्यापीकरण के समूह प्रमुख डॉ. आर.के. आर्य ने विज्ञान लोकव्यापीकरण गतिविधियों की जानकारी दी।
श्री सखलेचा ने लैंड यूज एवं अरबन सर्वे के क्षमता निर्माण प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ भी किया। उन्होंने कहा कि आज सबसे बड़ी जरूरत अच्छी प्लानिंग है। उन्होंने टेक्नोलॉजी और विकास के समन्वय पर भी जोर दिया। लैंड यूज एवं अरबन सर्वे के समूह प्रमुख डॉ. विवेक कटारे ने पाँच सत्रों में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम की विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
नाग
वार्ता
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