Friday, Apr 19 2024 | Time 17:21 Hrs(IST)
image
राज्य » मध्य प्रदेश / छत्तीसगढ़


शव नहीं दिए जाने पर हंगामा, कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश

बड़वानी 03 मार्च (वार्ता) मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के सेंधवा कस्बे में कथित तौर पर निजी अस्पताल द्वारा शव नहीं दिए जाने को लेकर हंगामा किए जाने के चलते जिला कलेक्टर ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा ने बताया कि उन्होंने सेंधवा की एसडीएम तपस्या परिहार को 26 वर्षीय आदिवासी युवक की सेंधवा के आनन्दम अस्पताल में मृत्यु होने के बाद कथित तौर पर शव नहीं दिए जाने तथा अन्य आरोपों की जांच के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा उन्होंने इसी अस्पताल के विरुद्ध आयुष्मान कार्ड संबंधी विसंगतियों की शिकायत को लेकर बड़वानी की डिप्टी कलेक्टर अंशु जावला को पृथक जांच के निर्देश दिए हैं।
विभिन्न आदिवासी संगठनों ने आज सेंधवा के आनंदम अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा किया जिसके चलते एसडीएम तपस्या परिहार एसडीओपी आर एस बारिया तथा पुलिस बल वहां पहुंचा। आदिवासी संगठनों ने बताया कि 26 वर्षीय चाचरिया निवासी चिंताराम सोलंकी सेंधवा के एक अन्य अस्पताल में भर्ती था जहां से उसे इंदौर के लिए रेफर कर दिया गया था। आनंदम अस्पताल उसकी सोनोग्राफी कराये जाने पर आंत संबंधी बीमारी का पता लगा था।
उन्होंने आरोप लगाया कि आनंदम अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें इंदौर की बजाय आयुष्मान योजना के अंतर्गत अस्पताल की संबद्धता का हवाला देते हुए यही भर्ती कर उपचार की सलाह दिए जाने पर 1 मार्च को चिंताराम को भर्ती करा दिया गया था। आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद अस्पताल ने उनसे 30000 रुपये ले लिए थे और कल उसके ऑपरेशन के कुछ देर बाद मृत्यु होने पर शव नहीं दिया गया और उन्हें अस्पताल में भी प्रवेश नहीं करने दिया गया। उन्हें कहा गया कि शेष राशि जमा कराने पर ही शव मिलेगा। सारे परिजन रात को राशि एकत्रित करने में लगे रहे और उन्होंने एक दुपहिया वाहन वहां ले जाकर खड़ा कर दिया और कहा कि शेष राशि देने के बाद वह दुपहिया वाहन ले जाएंगे।
सं नाग
वार्ता
उन्होंने आरोप लगाया कि आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद अस्पताल प्रबंधन ने राशि ली। आदिवासी मुक्ति संगठन के गजानंद ब्राह्मणे ने आरोप लगाया कि अस्पताल में उपस्थित कुछ अन्य मरीजों ने बताया कि आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद उन से पृथक से राशि ली गई है।
दूसरी ओर अस्पताल के संचालक डॉ आनंद गुप्ता ने बताया कि मरीज एक निजी अस्पताल में इंटेस्टाइनल ऑब्स्ट्रक्शन के चलते भर्ती था, वहां स्थिति बिगड़ने पर उसे परिजनों द्वारा यहां लाया गया । जांच में इंटेस्टाइनल परफोर्रेशन और टीबी पायी गयी और परिजनों से सहमति लेने के उपरांत दो सर्जनों को बुलाकर उसे ऑपरेशन के लिए ले जाया गया। पेट खोले जाने पर पाया गया कि उसे स्टमक गैंगरीन हो चुका था और ऑपरेशन करने से स्थिति में सुधार नहीं होने और उसके नहीं बचने की संभावना से अवगत करा दिया गया था।
उन्होंने इस आरोप से इनकार किया कि प्रबंधन ने शव देने मना किया । उन्होंने कहा कि परिजनों ने आयुष्मान कार्ड के बारे में नहीं बताया था इसलिए उनसे राशि ली गई।
सेंधवा शहर थाने की नगर निरीक्षक बलदेव मुजाल्दे ने बताया कि पुलिस इस मामले में पृथक से जांच कर रही है। शव का पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया गया है।
image