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राज्य » मध्य प्रदेश / छत्तीसगढ़


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श्री कोविंद ने कहा कि यह कार्यक्रम, देश की सभी राज्य न्यायिक अकादमियों के बीच, सतत न्यायिक प्रशिक्षण के लिए अपनायी जाने वाली प्रक्रिया को साझा करने का सराहनीय प्रयास है। इसलिए, राज्य न्यायिक अकादमियों के निदेशकों के इस अखिल भारतीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए मुझे हर्ष का अनुभव हो रहा है।
राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि न्यायपालिका देश की सबसे मूल्यवान संस्था है। प्रत्येक भारतीय को न्यायपालिका पर गर्व है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 की वैश्विक महामारी के संकट की घड़ी में भी न्यायपालिका ने न्यायदान को बाधित नहीं होने दिया। न्यायपालिका का यह कार्य प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता और कौशल विकास के लिये प्रशिक्षण का महत्व सर्वज्ञात है।
उन्होंने कहा कि शीघ्र न्याय की चुनौतियों से निपटने के लिये अकादमियों के प्रशिक्षुओं को तकनीक के बेहतरीन उपयोग के लिये प्रेरित करना चाहिए। साथ ही कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मानव विवेक के बीच तालमेल के साथ कार्य की क्षमता विकसित करने और बदलते समय की चुनौतियाँ डाटा सुरक्षा, सायबर अपराध आदि से निपटने के लिये तैयार करने और नवाचारों के लिये भी प्रशिक्षुओं को प्रेरित किया जाना चाहिये।
राज्यपाल ने कहा कि किसी भी समाज में यदि नारी की स्थिति सुदृढ़ व सम्मान जनक है, तो समाज भी सुदृढ़ और मजबूत होगा। लंबे समय के बाद नारियों ने समाज में कुछ जगह बनाई है, महिलाओं की स्थिति में बदलाव आ रहा है। यह सकारात्मक है, लेकिन हमें इसकी गति बढ़ानी होगी। अकादमियों द्वारा प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षुओं को लिंग संवेदीकरण के विषय में प्रशिक्षित करने के प्रयासों पर भी बल दिया जाए।
राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि गुजरात में महिला एवं बाल विकास विभाग में मंत्री की हैसियत से मैंने महिलाओं के समूह के माध्यम से पारिवारिक विवादों के समाधान की पहल की थी। इसके तहत नारी अदालत के रूप में 8-10 महिलाओं का समूह बनाकर उन्हें अधिकारों की जानकारी देने की व्यवस्था की गई थी। ये महिलाएँ घरेलू हिंसा के मामले में पीड़ितों और परिवार के सदस्यों के साथ चर्चा और आवश्यक जानकारियों को एकत्र कर विवादों का समाधान कराती थीं। महिला को कोर्ट-कचहरी नहीं जाना पड़े, इसलिये मैंने गणमान्य नागरिकों की समिति बनाकर उनके सहयोग से मामलों का निपटारा कराया। यह प्रयोग इतना कारगर रहा कि माह में दो बार नारी अदालतें बैठने लगीं, समस्याग्रस्त महिलायें स्वयं यहाँ आने लगीं। अत: यह जरूरी है कि यौन हिंसा के मामले में महिलाओं के प्रति अधिक संवेदनशील, संतुलित और सशक्त दृष्टिकोण के साथ न्याय प्रक्रिया संचालित हो।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबड़े ने कहा कि आज का कार्यक्रम एक नई प्रक्रिया का आरंभ है। संवाद, नए आयाम स्थापित करता है एवं आज हम इसी प्रकार के संवाद का प्रारंभ कर रहे हैं। न्याय एक अनोखी प्रक्रिया है, न्यायदान के लिये मानव स्वभाव, सामाजिक परिवेश, राजनीतिक व्यवस्था को समझना जरूरी है। साथ ही समय के साथ विकसित होते कानून को भी समझना जरूरी है।
उन्होंने कहा कालांतर में न्यायिक अकादमी स्थापित हुई, जो उत्तम कार्य कर रही है पर न्यायिक प्रशिक्षण के तौर-तरीकों को बदलना होगा। मेरे विचार में ऑल इंडिया ज्यूडीशियल एकेडमी डायरेक्टर रिट्रीट से एक संवाद स्थापित होगा ताकि अनुभव के आदान-प्रदान से हम उत्कृष्टता पा सके।
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश की 8 करोड़ जनता की ओर से संस्कारधानी में पधारे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे सहित अन्य न्यायाधीशों का हार्दिक अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि राज्य न्यायिक अकादमी द्वारा आयोजित ऑल इंडिया ज्यूडीशियल एकेडमीज डायरेक्टर्स रिट्रीट में विचारों का ऐसा आदान-प्रदान हो, जिसके मंथन से निकले अमृत रूपी निष्कर्षों को मध्यप्रदेश सरकार हाईकोर्ट के साथ मिलकर जमीन पर उतारने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
श्री चौहान ने न्यायालयों में बड़ी संख्या में लंबित प्रकरणों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि लोगों को जल्दी, सस्ता और सुलभ न्याय दिलाने की दिशा में बेहतर परिणाम हासिल करने के लिये दक्ष न्यायपति और मानव संसाधन चाहिये। उन्होंने कहा कि सही मायनों में आत्मा को न्याय से सुख मिलता है। उन्होंने कहा कि भारत की न्यायपालिका को वो प्रतिष्ठा प्राप्त है कि हर नागरिक को भरोसा है कि उसे हर हाल में न्याय मिलेगा।उच्च न्यायालय जबलपुर के मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक ने अपने स्वागत उद्बोधन में राज्य न्यायिक अकादमी एवं हाईकोर्ट जबलपुर द्वारा आयोजित ऑल इंडिया ज्यूडीशियल एकेडमीज डायरेक्टर्स रिट्रीट सम्मेलन को अनूठी पहल बताया।
कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्जवलन से हुआ। शुभारंभ एवं समापन राष्ट्रगान की धुन से हुआ। इस मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को काष्ठ की गणेश प्रतिमा भेंट की गई।
कार्यक्रम के दौरान न्यायिक क्षेत्र की तीन पुस्तकों का विमोचन कर पुस्तकों की प्रथम प्रति राष्ट्रपति श्री कोविंद को भेंट की गई। इन पुस्तकों में 'भारत के न्यायालय:अतीत से वर्तमान तक' का विमोचन सु्प्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश श्री बोबड़े ने, 'मध्यप्रदेश का न्यायिक इतिहास एवं न्यायालय' का विमोचन सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एन.वी. रमन्ना और 'मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के वर्ष 1950 से आज तक के डायजेस्ट' का विमोचन सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस श्री अशोक भूषण ने किया।
नाग
वार्ता
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