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राज्य » मध्य प्रदेश / छत्तीसगढ़


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राष्ट्रपति ने कहा कि मैं चाहता हूँ कि सभी उच्च न्यायालय, अपने-अपने प्रदेश की अधिकृत भाषा में, जन-जीवन के महत्वपूर्ण पक्षों से जुड़े निर्णयों का प्रमाणित अनुवाद, सुप्रीम कोर्ट की भाँति उपलब्ध और प्रकाशित कराएँ, जिससे भाषायी सीमाओं के कारण वादी-प्रतिवादियों को निर्णय समझने में असुविधा न हो। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान की उद्देशिका को हमारे संविधान की आत्मा समझा जाता है। इसमें चार आदर्शों - न्याय, स्वतंत्रता, अवसर की समानता और बंधुता की प्राप्ति कराने का संकल्प व्यक्त किया गया है। इनमें भी ‘न्याय’ का उल्लेख सबसे पहले है।
श्री कोविंद ने कहा कि देश में 18 हजार से ज्यादा न्यायालयों का कप्यूटरीकरण हो चुका है। लॉकडाउन की अवधि में जनवरी 2021 तक पूरे देश में लगभग 76 लाख मामलों की सुनवाई वर्चुअल कोर्टस में की गई। साथ ही नेशनल ज्यूडीशियल डेटा ग्रिड, यूनिक आइडेंटिफिकेशन कोड तथा क्यू.आर. कोड जैसे प्रयासों की सराहना विश्व-स्तर पर की जा रही है। अब ई-अदालत, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, ई-प्रोसीडिंग्स, ई-फाइलिंग और ई-सेवा केन्द्रों की सहायता से जहाँ न्याय-प्रशासन की सुगमता बढ़ी है, वहीं कागज के प्रयोग में कमी आने से प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण संभव हुआ है।
श्री कोविंद ने कहा कि मध्यप्रदेश सहित पश्चिमी भारत की जीवन रेखा और जबलपुर को विशेष पहचान देने वाली पुण्य-सलिला नर्मदा की पावन धरती पर आप सबके बीच आकर मुझे प्रसन्नता हो रही है। जाबालि ऋषि की तपस्थली और रानी दुर्गावती की वीरता के साक्षी जबलपुर क्षेत्र को भेड़ाघाट और धुआंधार की प्राकृतिक संपदा तथा ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक धरोहर प्राप्त है। शिक्षा, संगीत एवं कला को संरक्षण और सम्मान देने वाले जबलपुर को आचार्य विनोबा भावे ने ‘संस्कारधानी’ कहकर सम्मान दिया और वर्ष 1956 में स्थापित, मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायपीठ ने जबलपुर को विशेष पहचान दी।
सं नाग
जारीवार्ता
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