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असम में छत्तीसगढ़ के कांग्रेस एवं भाजपा नेताओं की साख दांव पर

रायपुर 23 मार्च(वार्ता)असम के विधानसभा चुनावों में छत्तीसगढ़ के कांग्रेस एवं भाजपा नेताओं की साख दांव पर हैं।राज्य के दो परम्परागत राजनीतिक प्रतिद्दन्द्दी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं पूर्व मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह के अलावा दोनो पार्टियों के हजारों नेता-कार्यकर्ता वहां प्रचार अभियान में आमने सामने है।
कांग्रेस आलाकमान ने कुछ माह पूर्व छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को असम चुनावों में जीत दिलाने की जिम्मेदारी सौंपी थी।इससे ठीक पहले छत्तीसगढ़ के विधायक एवं संसदीय विकास उपाध्याय को पार्टी का असम का प्रभारी बनाया गया था।श्री बघेल ने आलाकमान द्वारा सौंपी गई इस जिम्मेदारी पर खरे उतरने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है।उन्होने दायित्व मिलने के साथ ही असम का दौरा शुरू कर दिया,और पार्टी नेताओं कार्यकर्ताओं की ताबडतोड़ बैठके की।यह सिलसिला अभी भी जारी है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार श्री बघेल के सभी सलाहकारों ने लम्बे समय से असम में ही डेरा डाल रखा है।उऩ्होने असम के पार्टीजनों के प्रशिक्षण से लेकर पूरी चुनावी रणनीति को छत्तीसगढ़ फार्मूले से अन्तिम रूप दिया है।इसी दौरान पार्टी वहां पर अहम चुनावी गठबन्धन करने में भी कामयाब हो गई हैं।छत्तीसगढ़ फार्मूले पर काम करने तथा गठबन्धन के बाद असम में कमजोर मानी जा रही कांग्रेस के मुख्य मुकाबले में पहुंचने और सत्तारूढ़ भाजपा को कड़ी चुनौती देने की खबरे आ रही है।
राजनीतिक जानकारों के अऩुसार भाजपा ने छत्तीसगढ़ की टीम की सक्रियता को पहले नोटिस में नही लिया,लेकिन कांग्रेस के मजबूत गठबन्धन बनने के बाद पार्टी चुनावी रणनीति को बदलने पर मजबूर हो गई है।पार्टी के निर्देश पर कांग्रेस के छत्तीसगढ़ फार्मूले का जवाब देने के लिए छत्तीसगढ़ के भाजपा नेता कार्यकर्ता असम लगातार जा रहे है।इसके साथ ही पार्टी उपाध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह को भी पार्टी ने असम के प्रचार अभियान में उतार दिया है।उनको मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ फार्मूले के दृष्टिगत तैयार चुनावी घोषणा पत्र का जवाब देने के लिए लगाया गया है।
भाजपा उपाध्यक्ष डा.सिंह आज से असम दौरे पर है।दो दिनों में उन्हे चार सभाएं करनी है।डा.सिंह ने असम दौरा शुरू करने से पूर्व कुछ पत्रकारों से बातचीत में कहा कि..जिस तरह से मुख्यमंत्री ने असम में जाकर पूरा ज्ञान बांटा है और छत्तीसगढ़ की जिन बातों को जोरशोर से प्रचार किया जा रहा है,हम जाकर लोगो को बतायेंगे कि किस तरह राज्य के लोगो के साथ वादाखिलाफी की गई और 36 वादे किए गए जोकि अधिकांश पूरे नही हुए है।राज्य में कांग्रेस की सरकार आने के दो वर्ष में छत्तीसगढ़ के लोगो ने जो पीड़ा झेली है,उससे असम के लोगो को बचाने के साथ ही छत्तीसगढ़ फार्मूले के सच को बतायंगे..।
असम का चुनावी समर मुख्यमंत्री श्री बघेल के लिए काफी अहम इसलिए है कि वह कांग्रेस के इकलौते मुख्यमंत्री है जिन्हे किसी राज्य की पूरी जिम्मेदारी सौंपी गई है।अगर नतीजे पार्टी के पक्ष में रहे तो वह पार्टी आलाकमान के समक्ष अपने को और मजबूती से स्थापित करने में कामयाब रहेंगे,इसके साथ ही ढ़ाई- ढ़ाई साल के मुख्यमंत्री की हवा में उड़ने वाली खबरों पर स्थायी विराम लग जायेंगा।पार्टी को जीत दिलाने के लिए श्री बघेल लगातार वहां चुनावी सभाएं कर रहे है।चुनावी जीत की संभावनाओं दिखने के बाद कांग्रेस को पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी एवं महासचिव प्रियंका गांधी भी वहां अब लगातार चुनावी सभाएं कर रहे है।
फिलहाल राजनीतिक जानकारों का मानना हैं कि असम के चुनाव परिणामों का छत्तीसगढ़ में दोनो ही पार्टियों के नेताओं के मनोबल पर तात्कालिक थोड़ा प्रभाव जरूर पड़ सकता हैं,लेकिन राज्यों में चुनावों में काफी लम्बा समय होने के कारण किसी खास असर की संभावना नही है।
साहू
वार्ता
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