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आग को बावन गजा स्थित सिद्ध क्षेत्र तक पहुंचने के पूर्व रोका गया

बड़वानी, 31 मार्च (वार्ता) मध्यप्रदेश के बड़वानी जिला मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर सतपुड़ा के पहाड़ों पर लगी आग को प्रसिद्ध दिगंबर जैन सिद्ध क्षेत्र बावन गजा के समीप पहुंचने के पूर्व आज तड़के बुझा दिया गया।
वन मंडलाधिकारी डॉ अनुपम सहाय ने बताया कि बावन गजा के समीप सतपुड़ा के पहाड़ों पर लगी आग को बावन गजा सिद्ध क्षेत्र स्थित मंदिरों तक पहुंचने के डेढ़ किमी पूर्व बुझाने में सफलता मिल गई। यह ऑपरेशन करीब 20 घंटे चला।
उन्होंने बताया कि बावनगजा सिद्ध क्षेत्र में 84 फीट ऊंची भगवान आदिनाथ की अति प्राचीन मूर्ति है और इसके अलावा दूर तक फैले छोटे बड़े मंदिर भी हैं जिनके आग से प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई थी।
उन्होंने बताया कि तेज हवा का रुख बावन गजा की ओर होने के चलते आग चारों तरफ से बढ़ रही थी और विशेष चिंता उत्पन्न हो गई थी। किंतु वन अमले ने झाड़ियों से आग को पीटकर आग बुझाने के अलावा आगे के रास्ते से झाड़ियों व घांस को काटकर सम्पर्क समाप्त किया औऱ आग को आगे नहीं बढ़ने दिया। पहाड़ियों पर पानी से आग बुझाने का विकल्प काम नहीं कर रहा था, इसलिए पहाड़ियों के बीच बावन गजा को जोड़ने वाली सड़कों को गीला कर दिया गया, ताकि आग आगे बढ़ने से पहले रुक जाए।
उन्होंने कहा कि आग से करीब 10 हेक्टेयर क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि घटना की जांच के लिए पीओआर जारी कर दिया गया है। इसके अलावा भगोरिया, होली और रंग पंचमी को लेकर जिला प्रशासन और पुलिस को दिया गया वन अमला भी वापस बुला लिया गया है। उन्होंने कहा कि आगे इस तरह की घटना न हो, उसके प्रबंध किए जा रहे हैं। साथ ही घटना होने की स्थिति में ग्रामीणों के साथ इसे बुझाने की कार्ययोजना बनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि 10-10 लोगों की टीम बनाकर विभिन्न क्षेत्रों में पेट्रोलिंग कराई जाएगी।
कल सुबह कथित तौर पर किसी के द्वारा बीड़ी फेंक दिए जाने के चलते बावन गजा के आसपास सतपुड़ा के पहाड़ों पर आग लग गई थी और इसमें भीषण रूप ले लिया था। आग के चलते पहाड़ों पर लगी घास और झाड़ियां नष्ट हो गई थी और तेज हवाओं के कारण आग बावन गजा सिद्ध क्षेत्र तक बढ़ने लगी थी।
बावनगजा सिद्ध क्षेत्र के ट्रस्टी शेखर चन्द्र पाटनी ने बताया कि प्रबंधन के पास छोटे अग्निशामक यंत्र हैं, किंतु इस वृहद स्तर पर आग लगने पर खतरा बढ़ गया था। प्रबंधक इंद्रजीत मंडलोई ने बताया कि यह क्षेत्र अति प्राचीन है और आचार्य कुंदकुंदाचार्य ने अपनी निर्वाण गाथा में इस क्षेत्र का उल्लेख किया था। यहां स्थित चूलगिरी से लंकाधिपति रावण के पुत्र इंद्रजीत तथा भाई कुंभकरण मोक्षगामी हुए हैं।
उन्होंने बताया कि बावन गजा में जैन संप्रदाय के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ (ऋषभदेव) की 84 फीट की प्रतिमा का सही निर्माण काल तो निश्चित नहीं हो सका है किंतु इसके तेरहवीं शताब्दी से पूर्व जीर्णोद्धार कराए जाने के प्रमाण हैं। यहां का मुख्य मंदिर 12 वीं शताब्दी में निर्मित हुआ था और इसके निकटवर्ती 10 मंदिरों का निर्माण भट्ठारक रत्न कीर्ति के उपदेश से 15 वीं शताब्दी में किया गया।
यहां प्रति 12 वर्ष में महा-मस्तकाभिषेक का आयोजन किया जाता है तथा प्रति वर्ष मस्तकाभिषेक और मेला लगता है। सन 2008 के महा मस्तकाभिषेक के आयोजन के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यहां आकर बावनगजा को धार्मिक पर्यटन स्थल भी घोषित किया था।
सं बघेल
वार्ता
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