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‘धरोहर-भविष्य के परिप्रेक्ष्य में’ विषय पर वेबिनार हुआ आयोजित

भोपाल,18 अप्रैल (वार्ता) विश्व धरोहर दिवस के अवसर पर ‘धरोहर- भविष्य के परिपेक्ष्य में’ विषय पर आयोजित वेबिनार में सांस्कृतिक विरासत के प्रमोशन के लिए नवीनतम तकनीक और प्रौद्योगिकी के उपयोग और उन्हें टूरिज्म प्रॉपर्टी के रूप में परिवर्तित करने के विषय आदि पर महत्वपूर्ण सुझाव मिले। यह वेबिबार मध्यप्रदेश टूरिज्म के विकास और भविष्य की दिशा तय करेगा।
प्रमुख सचिव संस्कृति, पर्यटन और मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड के प्रबन्ध संचालक शिव शेखर शुक्ला ने बताया कि इस वेबिनार का आयोजन केन्द्र सरकार के पर्यटन मंत्रालय और मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा सयुंक्त रूप से किया। इसका उद्देश्य देश व प्रदेश की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहरों को सुरक्षित रखने, उनके संवर्धन और संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूकता लाना था। वेबिनार में सांस्कृतिक विरासत के प्रमोशन के लिए नवीनतम तकनीक और प्रौद्योगिकी के उपयोग और उन्हें टूरिज्म प्रॉपर्टी के रूप में परिवर्तित करने के विषय आदि पर महत्वपूर्ण सुझाव मिले।
वेबिनार में पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार की अतिरिक्त महानिदेशक सुश्री रूपिन्दर बरार, पर्यटन निगम की अतिरिक्त प्रबंधक निदेशक सुश्री सोनिया मीणा, इंफोसिस फाउंडेशन की चेयरपर्सन पद्मश्री श्रीमती सुधा मूर्ति, प्रख्यात भारतीय शास्त्रीय गायकद्वय पद्मभूषण पंडित राजन मिश्रा और पंडित साजन मिश्रा,पर्यटन कम्पनी के सीएमडी स्टीव बोर्गिया और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सेवानिवृत्त संयुक्त महानिदेशक एस.बी. ओटा ने अपने विचार रखें और साथ ही भारत की महान विरासत को सहेजने एवं संवारने में के विषय में अपने सुझाव भी दिए।
पद्मश्री श्रीमती मूर्ति ने कहा कि इतिहास प्रेमी, समाजसेवी संगठनों और एनजीओ की मदद से प्रदेश के महत्वपूर्ण सांस्कृतिक स्थलों का जीर्णोधार, विकास और प्रमोशन किया जा सकता है। मध्यप्रदेश के ऐतिहासिक स्थलों को स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। मध्यप्रदेश के लोगों की धार्मिक प्रवृत्ति को देखते हुए नर्मदा और शिप्रा नदी के आसपास के धार्मिक महत्व के स्थलों को जोड़कर टूरिस्म सर्किट का विकास किया जा सकता है।
श्री बोर्गिया ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित ऐतिहासिक इमारतों को टूरिस्ट होटल में कन्वर्ट करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि इससे ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। ऐतिहासिक इमारतों के संरक्षण के साथ-साथ ग्राम में व्यवसायिक और व्यापारी गतिविधियाँ बढ़ेंगी, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों का भी विकास होगा।
पद्मभूषण पंडित राजन मिश्रा व पंडित साजन मिश्रा ने समाज और सरकार की मदद से कॉरपस फंड बनाने का सुझाव दिया, जिसे कलाकार और प्रशासनिक अधिकारियों के माध्यम से संचालित किया जा सकता है। इससे भारतीय शास्त्रीय संगीत और परंपरा का संरक्षण करके उसे भावी पीढ़ियों को सौंपा जा सकता है।
सुश्री मीणा ने बताया कि वर्तमान में ऑथेंटिक और लोकल कल्चर टूरिज्म का चलन बढ़ा है। मध्यप्रदेश में जनजातीय और ग्रामीण टूरिज्म की अपार संभावनाएँ हैं। इस दिशा में विभाग द्वारा ‘रूरल टूरिज्म प्रोजेक्ट’के तहत 60 ग्रामों का विकास किया जा रहा है। यहाँ रूरल होम-स्टे और टूरिज्म की गतिविधियों के विकास के लिए स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण और मदद दी जा रही है। चंबल, बुंदेलखंड, मालवा, बघेलखंड आदि क्षेत्रों में ऐसे 100 ग्रामों को विकसित किया जाएगा। यहाँ टूरिस्ट प्राकृतिक, नैसर्गिक सौंदर्य का आनंद लेने के साथ-साथ स्थानीय कला, संस्कृति और व्यंजनों का भी लुत्फ उठा सकेंगे।
विश्वकर्मा
वार्ता
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