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कोविड महामारी के बाद सामाजिक बदलावों पर चिंतन की जरूरत-सखलेचा

भोपाल, 11 मई (वार्ता) मध्यप्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद समाज के रहन-सहन और चिंतन में परिवर्तन होगा।
श्री सखलेचा मंगलवार को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि परंपरा और संस्कार प्रधान भारतीय समाज मे लॉकडाउन संक्रमण को रोकने का विकल्प हो सकता है लेकिन अंतिम समाधान नहीं है। उन्होंने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है इसी दिन 1998 में भारत ने पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण से अपनी प्रौद्योगिकी क्षमता और प्रतिभा का परिचय दुनिया भर को दिया था।
उन्होंने कहा कि यह प्रश्न सहज ही किया जा सकता है कि कोविड-19 के बाद समाज का भावी स्वरूप कैसा होगा। महामारी के इस चुनौतीपूर्ण दौर में सांस्कृतिक मूल्यों और संस्कारों को बचाने की दिशा में विचार मंथन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी दिवस पर हमें भावी तकनीकी चुनौतियों पर भी गौर करना होगा।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस का आयोजन भारत की आजादी के 75 वर्ष के संदर्भ में किया गया था। वर्चुअल आयोजन का विषय आत्मनिर्भर भारत और कोविड-19 में विज्ञान और वैज्ञानिकों की भूमिका था।
इस अवसर पर विज्ञान भारती दिल्ली के राष्ट्रीय संगठन मंत्री जयंत सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि बहुत कम लोगों को मालूम है कि गांधीजी से भी पहले भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु ने सत्याग्रह शुरू किया था। उन्होंने भौतिकी मैं मौलिक खोज से अंग्रेजों की सोच बदली। जगदीश चंद्र बसु, आशुतोष मुखर्जी, प्रफुल्ल चंद्र राय, मेघनाथ साह, सत्येंद्र नाथ बोस आदि भारतीय वैज्ञानिकों का आजादी के आंदोलन में योगदान रहा। श्री सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि 11 मई के सफल परमाणु परीक्षण ने यह रेखांकित कर दिया कि भारतीय प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो चुका है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद मैपकास्ट के महानिदेशक डॉ.अनिल कोठारी ने कहा कि स्वदेशी प्रौद्योगिकी के माध्यम से देश आत्म निर्भरता की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि परिषद ने कोविड-19 के दौर में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के अंतर्गत प्रदेशवासियों को फीवर क्लीनिक, वेंटिलेटर और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने में योगदान किया है।
भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईसर), भोपाल के निदेशक प्रोफेसर शिवा उमापति ने कहा कि कोविड-19 के दौरान सांस्कृतिक परिवर्तन दिखाई दिया है। स्वदेशी वैक्सीन और ऑक्सीजन का उत्पादन यह रेखांकित करता है कि भारत आत्मनिर्भर हो गया है। विज्ञान भारती मध्य भारत प्रांत के प्रेसिडेंट डॉ. अमोद गुप्ता ने कहा कि आज का दिन यह दर्शाता है कि भारत अनेक क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी में आत्म-निर्भर हो चुका है जिसका फायदा समाज को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 से जुड़ी भ्रामक जानकारी से उत्पन्न डर को दूर करने की जरूरत है। आम लोगों को सही समय पर प्रमाणित और वैज्ञानिक जानकारियां उपलब्ध कराने की आवश्यकता है।
वर्चुअल कार्यक्रम का आयोजन मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद मैप कास्ट भोपाल एवं विज्ञान भारती के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।
नाग
वार्ता
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