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मध्यप्रदेश को मॉडल स्टेट बनाएं: शिवराज

भोपाल, 20 सितंबर (वार्ता) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज मंत्रालय से वीडियो कॉन्फ्रेंस द्वारा कलेक्टर्स-कमिश्नर्स से बातचीत कर विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन की जानकारी प्राप्त की और निर्देश दिए कि अपने परिश्रम की पराकाष्ठा से सभी अधिकारी मध्यप्रदेश को मॉडल स्टेट बनाएं।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार कॉन्फ्रेंस में श्री चौहान ने कहा कि आगामी 27 सितंबर को प्रदेश में वैक्सीनेशन महाअभियान संचालित होगा। सभी कलेक्टर्स अपनी जिला टीम के साथ वैक्सीनेशन महाभियान को सफल बनाने के लिए सक्रिय हों। प्रदेश में अच्छा वैक्सीनेशन हुआ है और हम देश के अग्रणी प्रांत के रूप में जनता के स्वास्थ्य की सुरक्षा करने में सफल हुए हैं। शेष लोगों को वैक्सीन लगवाने के लिए अभी प्रयास निरंतर जारी रखने की जरूरत है। प्रदेश की शत-प्रतिशत आबादी को वैक्सीन का सुरक्षा कवच मिले, इसके लिए महाअभियान आवश्यक है। इस महाअभियान की तैयारियों की समीक्षा 23 सितम्बर को वीडियो कॉन्फ्रेंस द्वारा होगी, जिसमें क्राइसिस मैनेजमेंट समितियों के सदस्य, प्रभारी अधिकारी और मंत्री भी शामिल होंगे।
श्री चौहान ने मुख्यमंत्री कोविड-19 विशेष अनुग्रह योजना की समीक्षा की। इस योजना में दमोह, रतलाम, छतरपुर, आगर-मालवा, डिण्डौरी, भिण्ड को आवेदनों के शत-प्रतिशत निराकरण के लिए बधाई दी। कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि मुख्यमंत्री कोविड-19 अनुकम्पा नियुक्ति योजना में प्रदेश में 553 लोगों को नियुक्ति दी जा चुकी है। इस योजना के क्रियान्वयन में नरसिंहपुर, होशंगाबाद, भोपाल, इंदौर और जबलपुर आगे हैं। मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा योजना में प्रदेश में 843 प्रकरणों में मंजूरी दी जा चुकी है। योजना में 21 वर्ष आयु तक के ऐसे बाल हितग्राही प्रतिमाह 5 हजार रूपए आर्थिक सहायता के पात्र हैं, जिन्होंने माता-पिता को कोरोना के कारण खो दिया है। प्रदेश में हितग्राहियों को 52.65 लाख रूपए की सहायता दी जा चुकी है।
कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि प्रदेश में वर्ष 2021 में 4 करोड़ 13 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य है। अभी तक करीब 4 करोड़ पौधे रोपित किए जा चुके हैं। अंकुर कार्यक्रम में जन-भागीदारी से करीब 4 लाख पौधे रोपे गए हैं। पौधों की देख-रेख का संकल्प भी लिया गया है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि वृक्षारोपण तभी सार्थक है जब पौधों की समुचित हिफाजत भी हो। उन्होंने कहा कि वे स्वयं भी प्रतिदिन पौधा लगाते हैं। प्रत्येक परिवार दिवंगत परिजन की स्मृति में और जन्म वर्षगाँठ के अवसर पर पौधा लगाने का कार्य करें। पौधारोपण को सामुदायिक स्वरूप दिया जाए। प्रदेश में मनरेगा में इस वर्ष 44 लाख पौधे रोपे गए हैं। इसके फलस्वरूप पौने दो सौ करोड़ की मजदूरी भी श्रमिकों को दी जा चुकी है। धार, छतरपुर, खरगोन, मंदसौर और खण्डवा इस वृक्षारोपण में सबसे आगे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश के प्रत्येक जिले में कुछ विशेष उत्पादन होते हैं। किसी जिले में काष्ठ शिल्पियों द्वारा, किसे जिले में बुनकरों द्वारा, तो किसी जिले में कृषि और खाद्य प्र-संस्करण से जुड़े कार्य बड़े पैमाने पर होते हैं। इन कार्यों से संबंधित व्यक्तियों की आर्थिक स्थिति में सकारात्मक परिवर्तन लाने की व्यापक संभावनाएं हैं। श्री चौहान ने निर्देश दिए कि आगामी 1 नवम्बर म.प्र. स्थापना दिवस पर ‘एक जिला-एक उत्पाद’ योजना में प्रत्येक जिला अपनी उपलब्धि का प्रदर्शन करे। नए प्रकल्पों के क्रियान्वयन का शुभारंभ हो। साथ ही जिले के प्रमुख उत्पाद के अलावा अन्य उत्पादों को बढ़ावा देने का कार्य भी हो।
श्री चौहान ने कहा कि प्रत्येक जिला प्रोसेसिंग यूनिट की संख्या बढ़ाएँ। पोषक आहार की ब्रांडिंग जरूरी है। श्री चौहान ने निर्देश दिए कि इस क्षेत्र में उपलब्ध संभावनाओं को साकार करें। प्रदेश के कुछ जिले शरबती गेहूँ के लिए प्रसिद्ध हैं, इन्हें भी प्रोत्साहन दिया जाए।
श्री चौहान ने कहा कि मार्केटिंग के माध्यम से प्रत्येक जिला स्थानीय ब्रांड को लोकप्रिय बनाने का कार्य करें। कॉन्फ्रेंस में प्रदेश के उत्पादों की राज्य में और बाहर के स्थानों में मांग बढ़ाने पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि योजना में निरंतर प्रयास बढ़ाएँ। पशुपालन और डेयरी गतिविधियों के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके क्रियान्वयन में यह जरूरी है कि समय-सीमा तय हो। उन्होंने छतरपुर में वुडन फर्नीचर को बढ़ावा देने का लक्ष्य तय कर कार्य पूरा करने के निर्देश दिए। अन्य जिलों में भी नवीन इकाइयों की स्थापना के लिए भूमि चयन के बाद तेजी से आगे का कार्य सुनिश्चित किया जाए। योजना में सभी जिलों में तेज गति से कार्य हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आगर मालवा में संतरा उत्पादन और मंदसौर में लहसुन उत्पादों में वृद्धि के प्रयास किए जाएँ। कलेक्टर्स ने बताया कि नीमच में मसाला बोर्ड द्वारा धनिया उत्पादकों को प्रशिक्षण देकर ज्यादा लाभ दिलवाने के प्रयास किए गए हैं। उज्जैन में पोहा क्लस्टर के लिए उद्यमी आगे आ रहे हैं। पाँच एफ.पी.ओ. प्याज उत्पादन के लिए सक्रिय हैं। जबलपुर में मटर उत्पादन बढ़ाने, बालाघाट में चिनोर चावल को बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं। कान्हा नेशनल पार्क के गेट पर भी विक्रय होता है, पर्यटक और वन्य-प्राणी देखने आए लोग भी इसे खरीदते हैं।
श्री चौहान ने कहा कि कोदो कुटकी के लिए भी प्रयास हों। मंडला में भी कोदो कुटकी में सात एफ.पी.ओ. गठित हो चुके हैं। इनके उत्पाद जबलपुर, दिल्ली और नागपुर तक जाते हैं। नए आउटलेट भी शुरू किए जा रहे हैं। भिंड कलेक्टर ने बताया कि जिले में बाजरा प्र-संस्करण की इकाइयाँ कार्य कर रही हैं। पाँच एफ.पी.ओ. पंजीकृत हुए हैं। ग्वालियर में आलू प्र-संस्करण इकाई शुरू करने के प्रयास किये जा रहे हैं। आलू निर्यात के लिए महानगरों के निर्यात विशेषज्ञों से वीसी द्वारा चर्चा कर ली गई है। प्रथम टिशू कल्चर लेब होगी ग्वालियर में।
कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि मध्यप्रदेश में 200 ऑक्सीजन प्लांट शुरू करने के लक्ष्य को तेजी से पूरा किया जा रहा है। अब तक 135 संयंत्र शुरू हो चुके हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि हम अपनी जनता को वैक्सीन के माध्यम से काफी सुरक्षित कर चुके हैं। तीसरी लहर जैसी कोई चीज आई भी तो उससे निपटना कठिन नहीं होगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने शेष ऑक्सीजन संयंत्र भी शीघ्र प्रारंभ करने के निर्देश दिए।
कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि प्रदेश में जल जीवन मिशन के अंतर्गत करीब सवा करोड़ घरों तक नल से जल प्रदाय की व्यवस्था की गई है। 93 हजार से अधिक विद्यालयों और 66 हजार से अधिक आँगनवाड़ियों में भी नल से जल दिया जा रहा है। प्रदेश के पाँच जिलों में कार्यों की प्रगति सर्वश्रेष्ठ है, इनमें बुरहानपुर, इंदौर, नरसिंहपुर, दतिया और बैतूल शामिल हैं। बुरहानपुर जिला कलेक्टर ने योजनाओं की नियमित समीक्षा कर 100 प्रतिशत आच्छादन की उपलब्धि प्राप्त की है। जल प्रदाय के लिए आवश्यक सभी क्लीयरेंस देने और पाइप लाइन बिछाने के फलस्वरूप सड़कों की क्षति को सुधारने जैसे कार्यों को सुनिश्चित किया गया।
श्री चौहान ने बुरहानपुर जिला प्रशासन को इसके लिए बधाई दी। कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि 15वें वित्त आयोग के अंतर्गत वर्ष 2021-22 में पंचायतों को मिलने वाले 1766 करोड़ रूपये से योजनाओं के संधारण और विद्युत देयक के भुगतान का कार्य किया जाएगा। कॉन्फ्रेंस में नगरीय क्षेत्रों में धारणाधिकार आवंटन के संबंध में बताया गया कि 31 दिसम्बर 2014 या उसके पहले निर्विवाद रूप से रह रहे लोगों को भूखण्ड के 30 वर्ष के स्थाई पट्टे जारी करने का निर्णय लिया गया था। इसके परिपालन में एक पोर्टल विकसित किया गया है। इसमें आवेदन पत्रों को ऑनलाइन प्राप्त करने की व्यवस्था की जा रही है। इसका एक प्रशिक्षण भी गत जुलाई और अगस्त माह में जिलों को दिया जा चुका है। संपूर्ण प्रक्रिया के विभिन्न स्तरों की प्रदेश स्तर पर मॉनीटरिंग की जा रही है।
नगरीय क्षेत्रों में धारणाधिकार आवंटन की भी समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि एक अभियान संचालित कर आम लोगों को इसकी जानकारी दी जाए ताकि वे इसका लाभ ले सकें। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह शासन का नैतिक दायित्व भी है कि मकान जैसी बुनियादी सुविधा और उस जमीन का मालिकाना हक प्रत्येक नागरिक को प्राप्त हो, जिस पर वर्षों से वह रह रहा है। श्री चौहान ने कहा कि कुछ स्थानों पर लोग वर्षों से रह रहे हैं। कहीं वन भूमि पर भी बसाहट के मामले सामने आते हैं। कुछ बड़े कस्बों की बसाहट भी वन भूमि पर है। ऐसे प्रकरणों में वन विभाग और केन्द्र सरकार के स्तर पर ठोस समाधान की कार्यवाही की जाए।
कॉन्फ्रेंस में अविवादित नामांतरण और बंटवारा की जानकारी भी दी गई। प्रदेश में कोविड लॉकडाउन के बावजूद इंदौर, रीवा, सागर, बुरहानपुर, बड़वानी, भोपाल और देवास ने नामांतरण कार्य में और अलीराजपुर, हरदा, झाबुआ, शाजापुर, छिंदवाड़ा और राजगढ़ ने बँटवारा के कार्य में तेजी से प्रकरणों का निपटारा किया है।
श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में स्व-सहायता समूहों के माध्यम से महिला सशक्तिकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पूरा सहयोग प्रदान किया जाए। इन समूहों द्वारा उत्पादित वस्तुओं की बिक्री इन महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का माध्यम है। प्रत्येक कलेक्टर मिशन मोड में स्व-सहायता समूहों को लाभान्वित करने की दिशा में कार्य करें। समूहों को क्रेडिट लिंकेज दिलवाने का कार्य जारी रहे। इस वित्त वर्ष में 48 हजार से अधिक प्रकरणों में 1231.39 करोड़ रूपए की राशि समूहों को स्वीकृत की गई है। धार, सागर, अलीराजपुर, छिंदवाड़ा और निवाड़ी जिलों ने इस कार्य में अच्छी प्रगति की है।
कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि प्रदेश में इस वित्त वर्ष में मनरेगा के कार्यों से 65.31 लाख श्रमिकों को रोजगार देकर 2798 करोड़ रूपए की राशि का भुगतान किया गया है। योजना के क्रियान्वयन में धार, बालाघाट, मंडला, डिण्डौरी और छिंदवाड़ा जिले सबसे आगे हैं। मनरेगा के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि इसमें किसी भी स्तर पर आर्थिक अनियमितताएँ नहीं होना चाहिए। मजदूरों को दी जाने वाली मजदूरी का पैसा समय पर पूर्ण रूप से प्राप्त हो, इसके लिए प्रत्येक स्तर पर मॉनीटरिंग करते रहे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लॉच किए गए ‘कैच द रेन’ कार्यक्रम में भी प्रगति बढ़ाई जाए। प्रदेश में वर्तमान में हरदा, नीमच, उमरिया, शाजापुर और बुरहानपुर ने इस कार्यक्रम में अच्छे परिणाम दिए हैं। राज्य में 65 हजार से अधिक कार्यों पर 1710 करोड़ रूपए की राशि खर्च की गई है। इस वित्त वर्ष में कपिलधारा कूप में 6461, पशु आश्रय में 2618, खेत तालाब में 7536, आवास में 2 लाख 19 हजार 309, नंदन फालोद्यान में 3681, वर्मी कॉमपोस्ट में 46 हजार 675 और 44 हजार 890 अन्य कार्य मिलाकर 3 लाख 34 हजार कार्यों को पूरा किया गया है।
बघेल
वार्ता
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