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भ्रष्टाचार के मामले में एक तहसीलदार समेत दो लोक सेवक और दो अन्य को सजा

इंदौर, 25 सितंबर (वार्ता) मध्यप्रदेश के इंदौर की विशेष अदालत ने खादी ग्रामोद्योग के एक तत्कालीन उप संचालक तथा इंदौर राजस्व सीमा में पदस्थ रहे एक तत्कालीन नायब तहसीलदार और ऋण लेने वाले दो आवेदकों को संगतमत होकर, गुण नीति के विपरीत जाकर, ऋण ले-देकर भ्रष्टाचार करने, लोकसेवक होते हुए पद का दुरूपयोग करने तथा भ्रष्टाचार तथा आर्थिक विश्वास का आपराधिक हनन करने के दो अलग-अलग मामलों में दोषी करार देते हुए विभिन्न धाराओं में सश्रम कारावास और अर्थदंड की सजा से कल दंडित किया है।
विशेष लोक अभियोजन अधिकारी श्रीमती ज्योति गुप्ता ने बताया कि विशेष न्यायालय (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) के न्यायाधीश विकास शर्मा ने शुक्रवार को दो अलग-अलग मामलों की सुनवाई की। दोनों ही मामलों में खादी ग्रामोद्योग के तत्कालीन उपसंचालक चन्दर सिंह सोलंकी पर गुण नीति के विपरीत जाकर ऋण देने के आरोप सिद्ध हुए है। न्यायालय ने सोलंकी से मिलीभगत कर गुण नीति के विपरीत जाकर ऋण आवेदन करने तथा ऋण लेने वाले निहाल सिंह और उमराव सिंह मोर्य को भी दोषी करार दिया है। तत्कालीन नायब तहसीलदार संजय वाघमारे पर खादी ग्राम उदयोग के भ्रष्ट उपसंचालक सोलंकी से मिलकर निहाल सिंह का ऋण वसूली प्रकरण की उचित सुनवाई नहीं करते हुए निहाल सिंह को लाभ पहुंचाने के आरोप सही साबित हुए है। इसी मामले में दो अन्य आरोपियों की मृत्यु हो जाने तथा एक अन्य तत्कालीन नायब तहसीलदार पर लगे आरोप सिद्ध नहीं होने के चलते इन्हे आरोप मुक्त करार दिया गया है।
श्रीमती गुप्ता ने दोनों मामलों की जानकारी देते हुए बताया कि पहले मामले में निहाल सिंह ने वर्ष 1997 से 2004 के बीच सहायता बैंक जमा योजना के तहत ऋण के लिए एक खादी ग्राम उद्योग इंदौर को एक आवेदन किया था। इस आवेदन पर तत्कालीन उप संचालक चन्दर सिंह सोलंकी ने निहाल सिंह को 5 लाख 20 हजार का ऋण फेब्रिकेशन इकाई स्थापित करने के लिए दे दिया था। नियमों की अनदेखी कर दिए गए इस ऋण की किस्तों की अदायगी निहाल सिंह ने नहीं की। इस ऋण वसूली के प्रकरण तत्कालीन नायब तहसीलदार संजय वाघमारे के समक्ष जाने के बाद उन्होंने खादी ग्राम उद्योग के भ्रष्ट अधिकारियो से मिलकर इस मामले को दबा दिया था। इस तरह आरोपियों ने अपने पद का दुरूपयोग कर आपराधिक षडयंत्र के तहत कदाचरण का अपराध किया।
न्यायालय ने उक्त तीनों आरोपियों को सजा सुनाई है। मामले में ऋण लेने वाले निहाल सिंह को आपराधिक साजिश तथा धोखाधड़ी का आरोप सिद्ध होने पर 04-04 वर्ष सश्रम कारावास एवं 50-50 हजार रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया। इसी मामले में तत्कालीन नायब तहसीलदार संजय वाघमारे को आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी की धाराओं में 04-04 वर्ष सश्रम कारावास एवं 50-50 हजार रूपये के अर्थदण्ड किया है। बाघमारे को ही तथा भ्रष्टाचार निवारण के तहत भी 04 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 50 हजार रूपये के अर्थदण्ड से भी दण्डित किया है।
श्रीमती गुप्ता ने बताया दूसरा मामले में भी खादी ग्रामोद्योग की इसी योजना के तहत आवेदक उमराव सिंह मोर्य (56) ने कृषि उपकरण निर्माण का उद्योग स्थापित करने के लिये 5 लाख 20 हजार का लोन लिया। खादी ग्रामोद्योग के तत्कालीन उपसंचालक चंदर सिंह ने मिलीभगत कर इस आवेदक को भी नियम विरुद्ध लोन दे दिया। इस मामले में उमराव सिंह मौर्य को भी आपराधिक साजिश रचना और धोखाधड़ी का दोषी पाया गया। उसे भी 04-04 वर्ष सश्रम कारावास एवं 50-50 हजार रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया है।
विशेष लोक अभियोजन अधिकारी ने बताया ने बताया उक्त दोनों ही मामलों में न्यायालय ने खादी ग्रामोद्योग के तत्कालीन उपसंचालक चंदन सिंह सोलंकी को दोहरी सजा सुनाई है। उसे भारतीय दंड सहिंता के तहत आपराधिक षड्यंत्र रचना, धोखाधड़ी करने और भ्रष्टाचार तथा आर्थिक विश्वास का आपराधिक हनन करने का दोषी पाया है। इसके अलावा सोलंकी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन धाराओं में भी दोषी पाया है। सोलंकी को 04-04 वर्ष सश्रम कारावास, 05-05 वर्ष सश्रम कारावास 04-04 वर्ष के सश्रम कारावास और दो लाख रूपये के कुल अर्थदंड से दंडित किया है।
जितेंद्र नाग
वार्ता
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