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छत्तीसगढ़ में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए कई कदम – भूपेश

रायपुर 28 सितम्बर(वार्ता)छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जलवायु सहिष्णुता तकनीकी एवं पद्धतियों के प्रचार-प्रसार के लिए केन्द्र सरकार द्वारा शुरू किए जा रहे जागरूकता अभियान में छत्तीसगढ़ की व्यापक भागीदारी होने का भरोसा दिलाते हुए कहा कि राज्य में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।
श्री बघेल ने आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आज रायपुर में नेशनल इंस्टीट्यूट बायोटेक स्ट्रेस मैनेजमेंट के नये परिसर के वीडियो कॉफ्रेंसिंग के माध्यम से किए लोकार्पण कार्यक्रम में वर्चुवली शामिल होते हुए कहा कि राज्य में नरवा, गरवा, घुरूवा, बाड़ी के माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षण एवं स्थानीय संसाधनों के बेहतर उपयोग से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
उन्होने कहा कि गोधन न्याय योजना और राजीव गांधी किसान न्याय योजना से खेती-किसानी को समृद्ध बनाने की पहल की गई है। राज्य में गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों में गोबर की खरीदी कर उससे जैविक खाद का उत्पादन किया जा रहा है।उन्होने कहा कि अब गोबर से बिजली उत्पादन की शुरूआत 02 अक्टूबर से करने जा रहे हैं।
आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार प्रधानमंत्री श्री मोदी ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से फसलों को बचाने तथा लाभकारी खेती के लिए छत्तीसगढ़ में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की।उन्होने छत्तीसगढ़ राज्य में सुराजी गांव योजना के तहत गांव में निर्मित गौठानों में गोधन न्याय योजना के तहत गोबर की खरीदी और उससे जैविक खाद के साथ-साथ अब बिजली उत्पादन की राज्य सरकार की योजना को भी सराहा।श्री मोदी ने कहा कि इस समय हमें किसानों को फसल आधारित लाभ से बाहर निकालकर वेल्यू एडिशन की ओर ले जाने की जरूरत है। उन्होंने मौसम की स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप फसल उत्पादन को बढ़ावा देने पर जोर दिया।
साहू
वार्ता
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