राज्य » मध्य प्रदेश / छत्तीसगढ़Posted at: Sep 30 2021 6:35PM नर्मदा परिक्रमा में अमित शाह ने भी सहयोग किया था दिग्विजय काभोपाल, 30 सितंबर (वार्ता) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने आज कहा कि लगभग चार वर्ष पहले उनकी 'नर्मदा परिक्रमा' के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने उनकी भरपूर मदद की थी। भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कट्टर आलोचक श्री सिंह ने उनकी नर्मदा परिक्रमा पर आधारित पुस्तक ''नर्मदा का पथिक'' के विमाेचन के दौरान अपने संबोधन में इस रहस्य से पर्दा उठाया। श्री सिंह के साथ जुड़े रहे श्री ओ पी शर्मा द्वारा लिखित इस पुस्तक के विमोचन समारोह में उनकी पत्नी अमृता राय, वरिष्ठ कांग्रेस नेता विवेक तन्खा, रामेश्वर नीखरा और सुरेश पचौरी भी मौजूद थे। श्री सिंह ने बताया कि वर्ष 2017 में उन्होंने अपने दल बल के साथ नर्मदा परिक्रमा के तहत महाराष्ट्र की सीमा पार कर गुजरात की सीमा में प्रवेश किया था। उस समय रात हो चुकी थी और हमें घने जंगलों से निकलना था। तभी वन विभाग का एक अधिकारी आया और उसने अपना परिचय देते हुए कहा कि श्री अमित शाह (वरिष्ठ भाजपा नेता) के निर्देश पर वह यहां पहुंचे हैं और उन्होंने (श्री शाह ने) निर्देश दिए हैं कि श्री सिंह की यात्रा के दौरान उन्हें कोई तकलीफ नहीं हो और उनके भोजन इत्यादि की व्यवस्था भी होना चाहिए। श्री सिंह ने कहा कि उस समय गुजरात विधानसभा चुनाव चल रहे थे और वे श्री शाह के सबसे बड़े आलोचक हैं। इसके बावजूद उन्होंने पूरा सहयोग किया। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने बताया कि उनकी श्री शाह से आज तक 'वन टू वन' भेंट नहीं हुयी है। लेकिन उन्होंने जो सहयोग किया था, उन्होंने उनके प्रति धन्यवाद और आभार व्यक्त किया था और उन्हें बाकायदा संदेश भिजवाया। श्री सिंह ने कहा कि यही राजनैतिक मित्रता और सामंजस्य का प्रमाण है, जिसे हम कभी कभी भूल जाते हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति में मतभेद स्वाभाविक हैं।श्री सिंह ने कहा कि इसी तरह वे संघ (आरएसएस) के भी वे बड़े आलोचक हैं, लेकिन यात्रा के दौरान दो चार दिन में कुछ कार्यकर्ता आते और उनसे मिलकर कहते कि ऊपर से आदेश हुआ है कि वे उनसे मिलें और चर्चा करें। वरिष्ठ नेता ने बताया कि संघ के कार्यकर्ताओं ने भी उनकी परिक्रमा के दौरान मदद की। भरूच जिले के एक गांव में उन्हें (श्री सिंह को) एक ऐसी धर्मशाला के हाल में रुकवाया गया, जहां एक तरफ 'हेडगेवार' और दूसरी तरफ 'गुरू गोलवलकर' का चित्र लगा हुआ था। यही नहीं रात्रि में बारिश के बीच उन्हें 'अहसास' कराने के लिए 'सदा वत्सले मातृभूमि' का आयोजन किया गया। श्री सिंह ने अपने लगभग पंद्रह मिनट के भाषण में कहा कि धर्म और राजनीति अलग अलग हैं। उन्होंने राजनीति में धर्म नहीं आने दिया। और धार्मिक यात्रा में सबकी मदद ली। उन्होंने कहा कि उनकी नर्मदा परिक्रमा के दौरान भारतीय जनता युवा मोर्चा का एक पदाधिकारी और तीन भाजपा कार्यकर्ता हमेशा साथ चले। वे 'नर्मदा परिवार' के आज तक सदस्य हैं। श्री सिंह ने कुछ और अनुभवों को साझा करते हुए अपने गुरू द्वारका एवं शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी का स्मरण करते हुए उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। उन्होंने नर्मदा परिक्रमा के दौरान सहयोग करने वाले सभी लोगों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की, जो अन्य वजहों से या कोरोना के कारण अब इस दुनिया में नहीं हैं।प्रशांतवार्ता