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एमएसएमई विकास नीति से बनेगा आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश

भोपाल, 22 अक्टूबर (वार्ता) मध्यप्रदेश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) नीति के तहत टेक्सटाइल सेक्टर को संगठित कर और उनका औद्योगिक उत्पादन बढ़ाकर प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाया जाएंगा।
उद्योग आयुक्त पी. नरहरि ने एमएसएमई विकास नीति की जानकारी देते हुए बताया कि इस नीति का उद्देश्य छोटे-छोटे उद्योगों को रियायतें और सुविधाएं देकर मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भर बनाना तथा स्थानीय युवाओं के कौशल उन्नयन के साथ उन्हें प्रदेश में ही रोजगार मुहैया करवाना है। उन्होंने कहा कि अन्य उद्यमों के साथ प्रदेश में टेक्सटाइल सेक्टर को संगठित कर उनका औद्योगिक उत्पादन बढ़ाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि नवीन टेक्सटाईल इकाई विनिर्माण श्रेणी की एमएसएमई, जिसमें यंत्र -संयंत्र में 10 करोड़ रुपये से अधिक एवं 50 करोड़ रुपये तक का निवेश किया गया हो, को संशोधित टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन फण्ड स्कीम में अनुमोदित प्लांट एवं मशीनरी के लिए, लिए गए टर्म लोन पर वाणिज्यिक उत्पादन दिनांक से विभिन्न श्रेणियों में ब्याज अनुदान प्रदान किया जाएगा।
इस नीति अनुसार 25 करोड़ तक के स्थाई पूंजी निवेश वाली नवीन इकाई के लिए पांच वर्ष के लिए ब्याज अनुदान 2 प्रतिशत की दर से रूपए 5 करोड़ की सीमा तक दिए जाने का प्रावधान है। इसी तरह रूपए 25 करोड़ से अधिक के स्थाई पूंजी निवेश वाली नवीन इकाई के लिए या विद्यमान स्वतंत्र इकाई, जिसके द्वारा विस्तार, शवलीकरण हेतु अमेण्डेड टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन फण्ड स्कीम अंतर्गत अनुमोदित प्लांट एवं मशीनरी में विद्यमान स्थाई पूंजी निवेश का कम से कम 30 प्रतिशत, जो रूपए 25 करोड़ से कम नहीं हो या रूपए 50 करोड़, जो भी कम हो, नवीन निवेश किया हो, तो 5 वर्ष के लिए 5 प्रतिशत की दर से ब्याज अनुदान का प्रावधान किया गया है। नवीन कम्पोजिट इकाई जिसके द्वारा रूपए 25 करोड़ से अधिक का स्थायी पूंजी निवेश किया गया हो और विद्यमान स्वतंत्र इकाई के शवलीकरण से निर्मित कम्पोजिट इकाई को 5 वर्ष के लिए 7 प्रतिशत की दर से ब्याज अनुदान की सुविधा दिए जाने का प्रावधान है।
विश्वकर्मा
वार्ता
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