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पुरानी जल संरचनाओं को सहेजकर ग्रामीणों की आमदनी का जरिया बनाया जाएगा

ग्वालियर, 24 अक्टूबर (वार्ता) मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले में पुरानी जल संरचनाओं को सहेज कर उन्हें ग्रामीणों की आमदनी का जरिया बनाया जाएगा।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित पुरानी जल-संरचनाएँ तालाब, चेकडैम और स्टॉपडेम आदि की जलभराव क्षमता बढ़ाने के साथ उनके जीर्णोद्धार और मरम्मत का काम कराया जाएगा। इससे संबंधित ग्रामीण क्षेत्र में जल स्तर में वृद्धि होगी। साथ ही जल संरचनायें अतिक्रमण से मुक्त होंगीं। इन संरचनाओं के लिए उपयोगकर्ता समूह बनाए जायेंगे। जल संरचनाओं में 3 से 5 साल तक सिंघाड़ा उत्पादन और मत्स्य पालन के लिए भी ग्रामीणों को अधिकार दिये जाएंगे।
इसके लिए हर ग्राम पंचायत में एक तकनीकी सलाहकार समिति का गठन किया जा रहा है। इस समिति में ग्राम पंचायत के सरपंच, सचिव, ग्राम रोजगार सहायक, क्षेत्रीय पटवारी, क्षेत्रीय कृषि विस्तार विकास अधिकारी और क्षेत्रीय उपयंत्री सदस्य होंगे।
इसी कड़ी में जिले के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने प्रत्येक जनपद पंचायत के सीईओ जनपद पंचायत, सहायक यंत्री, उपयंत्री सहित तकनीकी सलाहकार समिति के सदस्यों को क्षेत्र में जाकर पुरानी, अनुपयोगी जल-संरचनाओं जो कि वर्तमान में उपयोगी नहीं रहीं है। उनके चिन्हांकन के निर्देश दिए गए हैं।
इस संबंध में ग्रामीणों से अपील की गयी है कि यदि उनके क्षेत्र में ऐसी कोई पुरानी जल-संरचना है, जिसके जीर्णोद्धार, मरम्मत या अतिक्रमण मुक्त कराते हुए उसे एक उपयोगी संरचना बनाकर मत्स्य पालन, सिंघाड़ा उत्पादन या सिंचाई के लिए उपयोगी बनाया जा सकता है तो वे अपने ग्राम पंचायत के प्रधान, सचिव, रोजगार सहायक या क्षेत्रीय उपयंत्री या कृषि विस्तार विकास अधिकारी, पटवारी या सीईओ जनपद पंचायत में से किसी को भी अवगत कराएँ।
विश्वकर्मा
वार्ता
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