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रायपुर में 28 से 30 अक्टूबर तक होगा राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव

रायपुर 25 अक्टूबर (वार्ता) छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वकांक्षी पर्यटन विकास परियोजना के तहत राजधानी रायपुर में 28 से 30 अक्टूबर तक तीन दिवसीय राष्ट्रीय ’आदिवासी नृत्य महोत्सव’ आयोजित किया जा रहा है, जिसमें छत्तीसगढ़ सहित भारत के अन्य राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के साथ-साथ विदेशों के आदिवासी नृत्य समूह भी भाग लेंगे तथा अपनी जनजातीय लोक संस्कृति को प्रस्तुत करेंगे।
इस महोत्सव में कई भारतीय राज्यों के विविध आदिवासी समुदायों से जुड़े कलाकार शामिल होंगे। साथ ही और रवांडा, उज्बेकिस्तान, नाइजीरिया, श्रीलंका और फिलिस्तीन जैसे देशों के अतिथि कलाकार भी एक मंच पर एक साथ आएंगे। छत्तीसगढ़ के बस्तर, दंतेवाड़ा, कोरिया, कोरबा, बिलासपुर, गरियाबंध, मैनपुर, धुरा, धमतरी, सरगुजा, जशपुर जैसे क्षेत्रों में भी काफी आदिवासी आबादी है जो अपने विशिष्ट इतिहास, संस्कृति और परंपराओं के साथ प्राकृतिक जीवन शैली में घुले-मिले हैं।
उत्सव के बारे में बताते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, “छत्तीसगढ़ भारत की कई आदिवासी जनजातियों का घर है, जो राज्य की जीवंत संस्कृति में योगदान करते हैं, औऱ जिस पर हमें बहुत गर्व है। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव, आदिवासी संस्कृति की विशिष्टता को बढ़ावा देगा और साथ मिलकर उसका जश्न भी मनाएगा। साथ ही, यह छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों के आदिवासी जीवन की समृद्धि और विविधता को दुनिया के सामने लाने का काम भी महत्वपूर्ण अवसर है।”
2019 में, राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के पहले संस्करण में भारत के 25 राज्यों और 6 अतिथि देशों के आदिवासी समुदायों ने भाग लिया था, जिसमें 1 लाख से अधिक लोगों की उपस्थिति दर्ज की गई थी। यह महोत्सव भारत के सबसे बड़े जनजातीय त्योहारों में से एक है, जिसमें इस वर्ष छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मणिपुर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, जम्मू और कश्मीर आदि राज्यों की आदिवासी जनजातियों के विशेष नृत्य इस उत्सव के खास आकर्षणों में से एक हैं। इन नृत्यों की प्रदर्शनी में दो खास तरह के नृत्य शामिल हैं जो शादियों के मौके पर और दूसरे प्रमुख अनुष्ठानों के दौरान किए जाते हैं। भाग लेने वाले कलाकार पारंपरिक पोशाक पहनेंगे और मंच पर उनकी कलात्मक प्रस्तुतियों के साथ आदिवासी वाद्ययंत्र भी होंगे। यह महोत्सव न केवल आदिवासी कला और संस्कृति की महत्ता को लोगों के सामने लाएगा, बल्कि आदिवासी समुदायों के आर्थिक विकास की पहल जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चाएं इस महोत्सव का अभिन्न अंग है।
राज्य के पर्यटन मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा, “मुख्यमंत्री के नेतृत्व में, हमारा प्रयास ऐसी नई पहल को सामने लाना है जो राज्य के पर्यटन को बढ़ावा दे और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करे। हम लोगों को राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के इस उत्सव में शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हैं, आएं और समृद्ध आदिवासी जीवन व परंपराओं का अनुभव करें और राज्य के आदिवासी इलाकों से रू-ब-रू हों।“
राज्य के संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने कहा “आदिवासी आबादी छत्तीसगढ़ की कुल आबादी का एक बड़ा हिस्सा है। हमारा उद्देश्य आदिवासी संस्कृति के मूर्त और अमूर्त भागों को बढ़ावा देने वाली पहल को विकसित कर आदिवासी विरासत को संरक्षित करना है। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव, एक अनूठा उत्सव है जो न केवल विभिन्न आदिवासी नृत्य रूपों को एक साथ लोगों के सामने लाने का मौका देगा बल्कि आदिवासी परंपराओं और मूल्यों को संरक्षित करने तथा उन्हें बढ़ावा देने में भी मदद करेगा।”
इस साल महोत्सव के मुख्य आकर्षण में आदिवासी नृत्य क्षेत्र, स्पीकर लाउंज, लाइव प्रदर्शनी, आदिवासी जीवन से प्रभावित प्रदर्शनी, शिल्पग्राम, भोजन क्षेत्र आदि शामिल हैं। इस वर्ष महोत्सव का उद्देश्य आदिवासी समुदायों और उनके जीवन जीने के तरीके को साझा करना, उनके विकास के लिए सरकार और व्यक्तिगत संगठनों के बीच सहयोग बनाने के अवसरों का पता लगाना, ग्रामीण और पर्यावरण-पर्यटन को बढ़ावा देना और आदिवासी विकास पर निरंतर ध्यान केंद्रित करना है।
शेखर
वार्ता
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