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संभावना ट्रस्ट क्लिनिक के सदस्यों ने गैस पीड़ित मृतकों को दी श्रद्धांजलि

भोपाल, 02 दिसंबर (वार्ता) भोपाल गैस त्रासदी की 38वीं बरसी की पूर्व संध्या पर आज यहां यूनियन कार्बाइड कारखाने के समीप सम्भावना ट्रस्ट क्लिनिक के सदस्यों द्वारा गैस पीड़ित मृतकों को मोमबत्ती जलाकर श्रद्धांजलि दी।
क्लिनिक की महिला रोग सहायक अज़ीज़ा सुल्तान ने बताया की दिसंबर 1984 में यूनियन कार्बाइड से रिसी ज़हरीली गैस की वजह से आज भी गैस पीड़ित असमय मौत के शिकार हो रहे हैं। जिन्हे बचपन में गैस लगी वे आज 40-45 की उम्र में फेफड़े, गुर्दे और अन्य अंगों की पुरानी बीमारियों और ख़ास कर कैंसर से जूझते हुए काल कवलित हो रहे हैं। गैस पीड़ितों में बड़ी संख्या में फेफड़े, पित्त और बच्चेदानी के कैन्सर से मौतें हो रही है।
भोपाल ज़िले में कोविड की वजह से होने वाली मौतों के सरकारी आंकड़ों से यह स्पष्ट हुआ था कि यूनियन कार्बाइड की ज़हरीली गैस से प्रभावित आबादी में कोविड-19 की वजह से होने वाली मौतों की दर सामान्य आबादी से पांच गुना ज़्यादा थी। अगर भविष्य मे ऐसी कोई महामारी या आपदा आती है, तो सरकार को भोपाल के गैस पीड़ितों के लिए विशेष सुविधाएं मुहैया करानी चाहिए।
लेबोरेट्री टेकनीशियन महिंद्रा सोनी ने कहा कि गैस काण्ड से सर्वाधिक प्रभावित इलाके के बीच स्थित जन सेवी संस्था सम्भावना ट्रस्ट क्लिनिक की यह विशेषता है कि यहां 85 से ज्यादा प्रकार कि दवाएं क्लीनिक मे ही निर्मित कि जाती है, जिनसे गैस पीड़ितों और यूनियन कार्बाइड के ज़हरीले कचरे से प्रदूषित भूजल से पीड़ित लोगों को निःशुल्क इलाज दिया जाता है। पिछले 26 सालों में इस क्लिनिक ने पीड़ितों में ज़हरीले रसायनों की वजह से हुई बीमारियों के लिए अंग्रेज़ी, आयुर्वेद, पंचकर्म और योग से एकीकृत इलाज विधि विकसित की है जिससे अब तक लगभग 36 हज़ार से ज्यादा पीड़ितों को इलाज दिया जा चुका है।
सामुदायिक शोध सहायक चन्द्रशेखर साहू ने कहा कि सम्भावना ट्रस्ट का काम 30 हज़ार से अधिक स्थानीय और विदेशी दानदाताओं के चन्दे से चल रहा था। नवम्बर 2019 से एफसीआरए नवीनीकृत न हो पाने के कारण विदेशी चंदा नहीं आ पा रहा है जिसके कारण क्लिनिक संचालन में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आर्थिक समस्या से जूझते हुये अपने सीमित साधनों और स्टाफ सदस्यों के सहयोग से संस्था गैस पीड़ित व प्रदूषित भूजल पीड़ित लोगों को मुफ्त इलाज मुहैया करा रहा है।
दो और तीन दिसंबर 1984 की दरम्यानी रात को भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड कारखाने से जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट के रिसने से उसकी चपेट में आए हजारों लोगों की असमय मौत हो गयी थी तथा लाखों की संख्या में लोग इससे प्रभावित हुए थे और आज भी हजारों की संख्या में लोग इसका दंश झेल रहे हैं।
बघेल
वार्ता
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