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कला, भोजन और रचनात्मकता भारतीय संस्कृति का पुरातन काल से हिस्सा-लेखी

भोपाल, 09 जनवरी (वार्ता) केंद्रीय विदेश और संस्कृति राज्य मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने कहा कि कला, भोजन और रचनात्मकता भारतीय संस्कृति का पुरातन काल से हिस्सा रहे हैं। भारत सॉफ्ट स्किल के क्षेत्र में शुरू से ही अग्रणी रहा है।
श्रीमती लेखी प्रवासी भारतीय दिवस के दूसरे दिन ब्रिलिएंट कन्वेंशन सेंटर इंदौर में ‘‘लेवरेजिंग द सॉफ्ट पावर ऑफ इंडिया: गुडविल थ्रू क्राफ्ट, कुसीन एंड क्रिएटिविटी’’ सेशन को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि जिस तरह एक कलाकार अपनी कला को नित नए तरीके से परिष्कृत करते रहता है उसी तरह भारत में भी कला और रचनात्मकता विकसित हुई है।
उन्होंने कहा कि भारत ने अपनी कला और रचनात्मकता में नवीनतम तकनीक को शामिल तो किया लेकिन अपनी संस्कृति को कभी नहीं छोड़ा। हमारी कला, भोजन और रचनात्मकता का आज पूरा विश्व लोहा मान रहा है। पश्चिमी देशों में मशहूर हो रहे मिलेट और योग, पुरातन काल से भारतीय जीवन शैली का हिस्सा रहे हैं। हमें अपनी संस्कृति और इसमें समाहित सॉफ्ट पावर पर गर्व होना चाहिए। अब वक्त है कि भारतीय अपनी कला और रचनात्मकता से पूरे विश्व को भविष्य का रास्ता दिखाये।
पेनल सेशन में मॉरीशस के कला और सांस्कृतिक विरासत मंत्री अविनाश टीलक, भारत में एनजीएमए के डायरेक्टर जनरल अद्वैत गदनायक, बहरीन की लेखक और पत्रकार सुश्री मीरा रवि, नाइजीरिया की फिल्म प्रोड्यूसर, डायरेक्टर और मोटिवेशनल स्पीकर सुश्री हमीशा दरयानी आहूजा, नेपाल के लोक कला विभाग के अध्यक्ष एस सी सुमन, स्पेन की कोरियोग्राफर, प्रोड्यूसर और डांसर सुश्री श्रेयसी नाग ने भारत और प्रवासी भारतीयों के मजबूत सांस्कृतिक संबंधों पर अपने विचार रखे। उन्होंने बताया कि विदेशों की फिल्म, नृत्य, कला, संगीत, भोजन और रचनात्मकता में आज भी भारत का असर दिखाई देता है। साथ ही उन्होंने सभी प्रवासी भारतीयों से उनके देश में भारतीय कला, भोजन और रचनात्मकता को स्पॉन्सर और सहयोग करने की अपील भी की।
इस अवसर पर प्रवासी भारतीय दिवस में शामिल होने आये विभिन्न देशों के प्रतिनिधि, विजिटर्स और कलाप्रेमी उपस्थित रहे।‍‍
नाग
वार्ता
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