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कोषालयों में आधार आधारित भुगतान करने वाला मध्यप्रदेश अग्रणी राज्य

भोपाल, 13 जनवरी (वार्ता) मध्यप्रदेश के वित्त मंत्री श्री जगदीश देवड़ा ने कहा कि मध्यप्रदेश कोषालयों में आधार आधारित भुगतान के माध्यम से हितग्राहियों को भुगतान सुविधा देने वाला देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो रहा है।
श्री देवड़ा ने आज यहाँ इस नयी व्यवस्था का शुभारंभ किया। उन्होंने बताया कि कोषालयों में लागू एकीकृत वित्ती्य प्रबंधन सूचना प्रणाली को और ज्यादा सक्षम बनाने के लिये विगत कुछ समय से नए आयाम जोड़े जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि डिजिटल लेखा प्रेषण, बिल पारित करने में ई-साइन, आम नागरिक को कर/राजस्व का भुगतान करने के लिये ई-चालान में सभी भुगतान विकल्प उपलब्ध कराए गए हैं। इससे न सिर्फ वित्तीय व्यवहार में आसानी हुई बल्कि वित्तीय अनुशासन लाने में भी सफलता मिली है।
श्री देवड़ा ने कहा कि अब वित्तीय कार्य-प्रणाली को और सरल, सुदृढ़ एवं हितग्राही मूलक बनाने के उद्देश्य से आधार आधारित भुगतान की नयी व्यवस्था 16 जनवरी से प्रदेश के सभी कोषालयों में लागू हो जायेगी। नयी व्यवस्था से दोहरे लाभ को चिन्हित कर रोका जा सकेगा। साथ ही असफल भुगतान में भी कमी आएगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि प्रदेश की एकीकृत वित्तीय प्रबंधन सूचना प्रणाली के अंतर्गत सभी हितग्राहियों को वर्ष 2010 से उनके बैंक खाते में सीधे ई-भुगतान किया जा रहा है। समय की आवश्यकता और वित्तीय प्रबंध में आ रहे बदलावों को देखते हुए ई-भुगतान प्रणाली को प्रभावी बनाते हुए अब हितग्राहियों को बैंक खाते के साथ-साथ आधार आधारित भुगतान करना भी संभव हो गया है।
श्री देवड़ा ने कहा कि अब प्रदेश में आधार आधारित भुगतान के साथ बैंक खाता आधारित ई भुगतान को सीधे भारतीय रिजर्व बैंक की ई-कुबेर प्रणाली से समस्त कोषालय में 16 जनवरी 2023 से प्रारंभ किया जा रहा है। ई-कुबेर लागू होने से प्रदेश के समस्त ई-भुगतान तेजी से संबंधित हितग्राही के बैंक खाते में प्राप्त होंगे। यह प्रणाली सभी कार्य दिवस पर 24 घंटे उपलब्ध रहेगी।
वित्त मंत्री ने बताया कि नयी प्रणाली को लागू करने से आंकड़ों का मिलान आसान हो जायेगा। पूर्व में बैंकों द्वारा प्राप्ति एवं भुगतान की जानकारी भौतिक रूप से कोषालय को दी जाती थी, जो भारतीय रिजर्व बैंक और महालेखाकार को भेजी जाती थी, जिसमें आकड़ों की भिन्नता की कई समस्याएँ थीं। ई-कुबेर के आने से भारतीय रिजर्व बैंक से सीधे व्यवहार होंगे और वित्तीय लेन-देन के आकड़ों के मिलान की समस्या समाप्त होगी। श्री देवड़ा ने कहा कि इस दिशा में आगे बढते हुए डिजिटल इंडिया कार्यक्रम में प्रदेश के योगदान को और बढाया जायेगा। वर्तमान एकीकृत वित्तीय प्रबंधन सूचना प्रणाली के स्थान पर आधुनिक तकनीकी नवाचारों को शामिल करते हुए फेसलेस, पेपरलेस, कान्टेक्टलेस एवं कैशलेस वित्तीय व्यवहारों को लागू करने तथा यूजर फ्रेंडली सिस्टम विकसित करने के उद्देश्य से आईएफएमआईएस नेस्ट जीइएन का विकास किया जा रहा है।
अपर मुख्य सचिव वित्त अजीत केसरी ने बताया कि इस प्रणाली का उद्देश्य वास्तविक हितग्राही के खाते में तत्काल राशि पहुँचाना रहा है। साथ में बैंकिंग ट्रांजेक्शन जल्दी हो और कोषालय से बैच के रूप में ऑपरेट सिस्टम बंद किया जाकर नयी प्रणाली से वित्तीय ट्रांजेक्शन द्वारा तुरंत हितग्राहियों को लाभ दिलाना है।
इस अवसर पर सचिव एवं आयुक्त कोष एवं लेखा ज्ञानेश्वर पाटिल, संचालक कोष एवं लेखा डॉ. राजीव सक्सेना एवं संचालक पेंशन जे.के. शर्मा सहित वित्त विभाग एवं कोष एवं लेखा के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।
नाग
वार्ता
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