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जी-20 के अंतर्गत थिंक-20 की दो दिवसीय बैठक भोपाल में सोमवार से

भोपाल, 15 जनवरी (वार्ता) ''जी-20'' के अंतर्गत ''थिंक-20'' की दो दिवसीय बैठक सोमवार से यहां कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में आयोजित की जाएगी, जिसमें ‘पर्यावरण सम्मत जीवन शैली-नैतिक मूल्य तथा सुमंगलमय युक्त वैश्विक सुशासन’ विषय पर देश और विदेश से आए प्रतिनिधि और विषय-विशेषज्ञ विचार-मंथन करेंगे।
रिसर्च एंड इन्फर्मेशन सिस्टम फॉर डेवलपिंग कंट्रीज (आरआईएस) के महानिदेशक प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी ने आज शाम यहां पत्रकारों से चर्चा में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पहले दिन 16 जनवरी को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उद्घाटन समारोह में शामिल होंगे। राज्यपाल मंगुभाई पटेल 17 जनवरी को समापन समारोह में शिरकत करेंगे।
उन्होंने बताया कि दो दिवसीय बैठक में लगभग 300 प्रतिनिधि शामिल होंगे, जिनमें से 94 विदेशी प्रतिनिधि हैं। ये 94 प्रतिनिधि 14 देशों के हैं। शेष प्रतिनिधि देश के विभिन्न राज्यों के हैं। सम्मेलन की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं और लगभग सभी प्रतिनिधि यहां पहुंच चुके हैं।
प्रोफेसर चतुर्वेदी ने दो दिवसीय बैठक के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि दो दिन तक विचार मंथन के बाद जो भी निष्कर्ष निकलेंगे, उसे ''भोपाल डिक्लरेशन'' नाम दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि बैठक में 5 प्लेनरी और 10 पेरेलल सेशन होंगे। जी20 या ग्रुप ऑफ टवेंटी एक अंतर-सरकारी मंच है, जिसमें 19 देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं। यह समूह वैश्विक अर्थ-व्यवस्था से संबंधित प्रमुख मुद्दों, जैसे अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय स्थिरता, जलवायु परिवर्तन शमन और सतत विकास जैसे मुद्दों पर काम करता है।
इस बीच आधिकारिक विज्ञप्ति में बताया गया है कि जी-20 के सदस्य देशों में अर्जेटीना, आस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं। यह 20 देशों का समूह दुनिया के कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लगभग 75 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करता है। वर्ष 2021 में समूह ने माना है कि ग्लोबल वार्मिंग को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.5 डिग्री सेल्सियस ऊपर सीमित करने की आवश्यकता होगी।
जी-20 सदस्य वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार के 75 प्रतिशत से अधिक और विश्व जनसंख्या के लगभग दो-तिहाई का प्रतिनिधित्व करते हैं। जी-20 के प्रमुख उद्देश्य वैश्विक आर्थिक स्थिरता, सतत विकास हासिल करने के लिए इसके सदस्यों के बीच नीति समन्वय, ऐसे वित्तीय नियमों को बढ़ावा देना जो जोखिमों को कम करते हैं और भविष्य के वित्तीय संकटों को रोकते हैं और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संरचना का आधुनिकीकरण करना है।
जी-20 द्वारा सामूहिक कार्य को प्रोत्साहित करने, बहुविषयक अनुसंधान करने और आपदा जोखिम में कमी पर सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान करने के लिए भारत की अध्यक्षता में आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर एक नया कार्य समूह स्थापित किया जाएगा। द ग्रुप ऑफ ट्वेंटी (जी-20) अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है। यह सभी प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मुद्दों पर वैश्विक वास्तुकला और शासन को आकार देने और मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
गौरतलब है कि भारत को एक दिसंबर, 2022 से 30 नवंबर 2023 तक जी20 की अध्यक्षता करने का अवसर मिला है। एक दिसंबर, 2022 को भारत ने इंडोनेशिया से जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण की है और 2023 में देश में पहली बार जी-20 नेताओं का शिखर सम्मेलन आयोजित करेगा। भारत के लिए, जी-20 की अध्यक्षता करने का अवसर उस वक्त मिला है, जब देश आजादी के 75 वर्ष पूर्ण कर अमृत काल में प्रवेश कर रहा है। देश की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ से शुरू होने वाली 25 साल की अवधि ‘अमृतकाल’ है।
बैठक के आयोजन से जुड़ी विज्ञप्ति में कहा गया है कि लोकतंत्र और बहुपक्षवाद के लिए गहराई से प्रतिबद्ध भारत की जी-20 अध्यक्षता देश के इतिहास में ऐतिहासिक है, क्योंकि यह सभी की भलाई के लिए व्यावहारिक वैश्विक समाधान ढूंढ कर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाना चाहता है और ऐसा करने में ‘वसुधैव कुटुम्बकम या ‘विश्व एक परिवार है’ की सच्ची भावना को प्रकट करता है।
विज्ञप्ति के अनुसार जी-20 प्रेसीडेंसी एक वर्ष के लिए जी-20 एजेंडा चलाती है और शिखर सम्मेलन की मेजबानी करती है। जी-20 में दो समानांतर ट्रेक होते हैं। पहला फाइनेंस ट्रेक और दूसरा शेरपा ट्रेक। वित्त मंत्री और केन्द्रीय बैंक के गवर्नर वित्त ट्रेक का नेतृत्व करते हैं, जबकि शेरपा, शेरपा ट्रेक का नेतृत्व करते हैं।
भोपाल में आरआईएस द्वारा आयोजित ‘जीवन मूल्य और प्रसन्नता के लिए वैश्विक सुशासन : वित्त और तकनीक शीघ्र सहयोग के लिए रूपरेखा’ विमर्श ''टी-20'' की प्रोसेस के लिए विशिष्ट अवसर है। टी-20 का भोपाल विमर्श, टास्क फोर्स के सदस्यों, विषय-विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, डिप्लोमेट और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, निजी क्षेत्र और संस्थानों के साथ सिविल सोसायटी के लोगों को एक साथ आकर काम करने का अवसर प्रदान करेगा।
प्रशांत
वार्ता
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