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समावेशी वैश्वीकरण ही विकास का आधार: रहमान

भोपाल, 17 जनवरी (वार्ता) सेंटर फॉर पॉलिसी डायलॉग बांग्लादेश के प्रो़ मुस्तफिजूर रहमान ने कहा है कि समावेश वैश्वीकरण ही विकास का आधार है।
यहां कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में थिंक 20 के प्लेनरी सत्र-5 ‘न्यू कॉम्प्लिमेनट्रीज़ इन ट्रेड एंड वैल्यू चेन्स’ की अध्यक्षता कर रहे प्रो़ रहमान ने अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आज जब हम वैश्विक विकास की बात कर रहे हैं, यह महत्वपूर्ण है कि हमारा विकास का मॉडल समावेशी हो। कम्पीटिटिवनेस के साथ अल्पविकसित एवं विकासशील देशों की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए तकनीकी तक पहुंच एवं विशेष ट्रेड प्रावधान होने चाहिए, जो इन देशों की वैश्विक बाज़ार तक पहुँच स्थापित करने में सहायक हो। उन्होंने कहा कि आज की तेज़ी से बदलती अर्थ-व्यवस्था में ग्लोबल वैल्यू चेन को और सशक्त करने की ज़रूरत है।
सहभागी नवाचार, सूचनाओं का प्रदाय एवं ज्ञान का एकीकरण ग्लोबल वैल्यू चेन को सशक्त करने में अहम डॉ पॉश राज पांडे, चेयरमेन, एसएडब्ल्यूटीईई नेपाल ने बदलते हुए भू-राजनीतिक, भू-आर्थिक परिवेश का व्यापार एवं वैल्यू चेन पर पड़ रहे दुष्प्रभाव का उल्लेख किया। उन्नत तकनीकी, डिजिटलीकरण की सार्वभौमिक पहुँच के साथ संचार एवं परिवहन तंत्र की लागत कम करना वैल्यू चेन को सशक्त करने में सहयोगी होगा।। उन्होंने दक्षिण-दक्षिण, उत्तर-दक्षिण सहयोग के साथ ट्राइएंगुलर सहयोग पर भी ज़ोर दिया। वैश्विक वैल्यू चेन के साथ क्षेत्रीय वैल्यू चेन को भी सशक्त करना चाहिए।
मिकातेकिसो कुबाई रिसर्चर इंस्टीट्यूट ऑफ़ ग्लोबल डायलॉग दक्षिण अफ़्रीका ने मध्यप्रदेश एवं भोपाल के नागरिकों की गर्मजोशी एवं स्वागत भाव के प्रति आभार व्यक्त कर अपना संबोधन प्रारंभ किया। श्री कुबाई ने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की जी 20 अध्यक्षता ने विश्व को जन केंद्रित विकास मॉडल का संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि विकास सिर्फ़ जीडीपी ग्रोथ न होकर हर व्यक्ति की जीवन-शैली में सकारात्मक प्रगति है। उन्होंने कहा कि आज अफ़्रीका में व्यापार को बढ़ावा देने के लिए अधो-संरचना विकास की ज़रूरत है। इसके लिए अफ़्रीका को उचित दर में वित्त की आवश्यकता है। इससे स्थानीय उत्पादों को वैश्विक बाज़ार उपलब्ध होगा जो अफ़्रीका के देशों को आत्म-निर्भर बनाने में सहायक होगा।
श्री ऑलुसें एंड्रयू इशोला, सेंटर फॉर मैनेजमेंट डेवलपमेंट (सीएमडी), नाइजीरिया ने कहा कि आज वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने के लिए प्रतियोगी वातावरण की जगह सहभागी वातावरण की आवश्यकता है। आज यह हमारे सामने है कि प्रतियोगी वातावरण वैश्विक भलाई में सकारात्मक परिणाम नहीं ला सका है। श्री इशोला ने टैरिफ एवं नॉन टैरिफ बेरियर्स को वैश्विक दक्षिण के हित अनुसार निर्धारित करने का सुझाव दिया।
प्रो. नवल के पासवान, डीन, स्कूल ऑफ़ सोशल साईंस, सिक्किम यूनिवर्सिटी ने कहा कि अल्प विकसित एवं विकासशील देशों में सस्ते श्रम की उपलब्धता के बावजूद परिवहन लागत, टैरिफ- नॉन टैरिफ बेरियर्स के कारण वैश्विक व्यापार की लागत ज़्यादा है। उन्होंने कहा कि विकास के लिए आवश्यक है कि ग्लोबल वैल्यू चेन में स्थानीय उत्पादों को पर्याप्त स्थान मिले।
प्रो. पासवान ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज बड़ी मल्टी नेशनल कंपनियाँ ग्लोबल वैल्यू चेन का लाभ ले रही हैं, वहीं लघु एवं मध्यम उद्योग आज भी इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं। आज समय है ‘लोकल प्रोडक्शन टू ग्लोबल कंजम्पशन’ अवधारणा पर वैश्विक समुदाय एकजुट होकर प्रयास करे। ग्लोबल वैल्यू चेन के समावेशी बनने से रोज़गारों का सृजन होगा और सही मायने में हम वैश्विक विकास को प्राप्त कर पायेंगे। इस दौरान उन्होंने भारत में ग्लोबल वैल्यू चेन में स्थानीय सहभागिता सुनिश्चित करने के प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में किए जा रहे प्रयासों का उल्लेख किया।
प्रो. साइत एकमन, द इकोनॉमिक पॉलिसी रिसर्च फाउंडेशन, तुर्की ने सत्र में वर्चुअल सहभागिता की। प्रो. एकमन ने ग्लोबल वैल्यू चेन के विभिन्न प्रकारों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि आज ग्लोबल वैल्यू चेन में भारत की सहभागिता में विश्व में सबसे तेज गति से वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल वैल्यू चेन की क्षमता संवर्धन एवं दक्षता में वृद्धि से व्यापार लागत कम होगी। इससे लगभग 2 करोड़ 20 लाख वैश्विक आबादी अत्यंत ग़रीबी की स्थिति से बाहर निकल सकती है। वहीं 40 प्रतिशत कम आय वाली जनसंख्या की आजीविका में सुधार सुनिश्चित किया जा सकता है।
बघेल
वार्ता
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