Friday, Apr 19 2024 | Time 13:57 Hrs(IST)
image
राज्य » मध्य प्रदेश / छत्तीसगढ़


विकास का मॉडल समावेशी होना चाहिए: सचिन चतुर्वेदी

भोपाल, 17 जनवरी (वार्ता) दो दिवसीय थिंक 20 (टी20) सम्मेलन के परिणामों को साझा करते हुए आरआईएस के महानिदेशक सचिन चतुर्वेदी ने कहा कि विकास का मॉडल समावेशी होना चाहिए। इसमें सिर्फ जीडीपी ही इंडेक्टर नहीं हो, बल्कि इसमें वेलविइंग पर आधारित सस्टेनेबल प्रिंसपल को भी ध्यान में रखना चाहिए।
भोपाल में ‘ग्लोबल गवर्नेंस विद लाइफ, वैल्यूज एंड वेलबीइंग-फोस्टरिंग कोऑपरेशन इन फ्रेमवर्क, फाइनेंस एंड टेक्नोलॉजी’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय थिंक 20 (टी20) सम्मेलन का आज यहां समापन हो गया। श्री चतुर्वेदी ने कहा कि इस वित्तीय संस्थाओं विश्व बैंक, आईएमएफ, एशियन डिवेलपमेंट बैंक, अफ्रीकन डिवेलपमेंट बैंक की गाइडलाइंस में परिवर्तन करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अफ्रीका, दक्षिण एशिया के देश लिस्ट डिवेलप्ड कंट्री (एलडीसी) जो विकाशसील देश बनने की दिशा में अग्रसर हैं, उनकी वित्तीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर गाइडलाइंस बनाई जाए।
श्री चतुर्वेदी ने कहा कि विकास परिवर्तन (डेवलपमेंट ट्रांसफॉर्मेशन) के दृष्टिकोण में बदलाव की आवश्यकता है जो विकास में महिलाओं की भूमिका को पहचाने। महिला उद्यमिता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और पुनर्जीवित किया जाना चाहिए। बच्चों में निवेश को वह प्राथमिकता और ध्यान नहीं मिला है जिसके वे हकदार हैं और इसके लिए हमने पोषण और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा जैसे व्यापक जी 20 विचार-विमर्श को सूचित करने के लिए टी 20 प्रक्रिया में बच्चों के विशिष्ट मुद्दों को प्राथमिकता दी है। आइए हम आज मानवता के कल के लिए बच्चों में निवेश करें।
श्री चतुर्वेदी ने कहा कि समय आ गया है जब ‘वन हेल्थ’ की बात की जाए जिसमें मानव के साथ-साथ जंतुओं और पौधों के स्वास्थ्य को एक साथ जोड़कर देखा जाए। उन्होंने कहा कि ट्रेडिशनल मेडिसीन खासतौर से आयुर्वेद, सिद्ध और होम्योपैथी (आयुष) जैसी पारंपरिक पद्धतियां वन हेल्थ की दिशा में मजबूत पिलर साबित हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा दिए गए मिशन लाइफ के सिद्धांत को जीवन में उतारने के लिए संस्थागत प्रयास होने चाहिए। उन्होंने टेक्नॉलजी को नैतिक मूल्यों से जोड़ने की बात कही और नैतिकता के साथ काम करने की आवश्यकता पर जोर दिया। जी20 की भारत की अध्यक्षता बच्चों पर विशेष ध्यान देने के साथ हम सभी के लिए सतत विकास के लिए ज़रूरी परिवर्तन को प्रेरित करने का एक अनूठा अवसर है। यह तभी हो सकता है जब हर इंसान एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य की भावना में तकनीक और हरित-नेतृत्व वाली आर्थिक वृद्धि और विकास का हिस्सा हो।
मीडिया से बात करते हुए दक्षिण एशिया के लिए यूनिसेफ के क्षेत्रीय निदेशक श्री जॉर्ज लारिया-अदजेई ने कहा कि एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य का जी20 विज़न है कि व्यक्तियों और राष्ट्रों की मस्तिष्क शक्ति या संज्ञानात्मक क्षमताओं को प्राथमिकता देनी चाहिए। हम जानते हैं कि बचपन और किशोरावस्था में निवेश समावेशी आर्थिक विकास का एक शक्तिशाली चालक हो सकता है। दुनिया को संज्ञानात्मक विकास को आगे बढ़ाने की जरूरत है, जिसके लिए विकास के लिए एक नए मॉडल की आवश्यकता है। हम जानते हैं कि जी20 की अगुवाई में भारत के साथ यह नया मॉडल सामने आएगा।
दो दिवसीय, थिंक 20 (टी20) सम्मेलन ‘ग्लोबल गवर्नेंस विद लाइफ, वैल्यूज एंड वेलबीइंग - फोस्टरिंग कोऑपरेशन इन फ्रेमवर्क, फाइनेंस एंड टेक्नोलॉजी’ का आयोजन विकासशील देशों के लिए अनुसंधान और सूचना प्रणाली (आरआईएस) और अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान (एआईजीजीपीए), मध्य प्रदेश सरकार का एक स्वायत्त संस्थान, नीति आयोग (एमपीएनआईटीआई) और अन्य भागीदारों के सहयोग से किया गया था। यह सम्मेलन टी20 टास्क फोर्स के सदस्यों, शिक्षाविदों, विषय विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, राजनयिकों, यूनिसेफ और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों, निजी क्षेत्रों, फाउंडेशन और सिविल सोसाइटी को एक साथ लेकर आया।
कई राष्ट्रीय और आंतरिक विशेषज्ञों की भागीदारी के साथ 'बच्चों में निवेश: भविष्य में निवेश' पर एक संयुक्त आरआईएस-यूनिसेफ पैनल ने जी20 के लिए नीतिगत सिफारिशें पेश कीं, जो बाल-केंद्रित नीतियों में निवेश पर ध्यान केंद्रित करती हैं, जो प्रगतिशील सार्वभौमिक बाल लाभों को प्राथमिकता देती हैं, खासकर बच्चों के शुरुआती साल, मातृत्व लाभ और चाइल्डकैअर में साक्ष्य से पता चलता है कि शुरुआती वर्षों में निवेश करने से उच्चतम और सबसे समावेशी आर्थिक विकास प्राप्त करने के लिए संज्ञानात्मक पूंजी को बढ़ावा मिल सकता है।
बघेल
वार्ता
image