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मुम्बई


रंगमंच पर झंकार ने आल्हादित किया

उदयपुर 30 दिसम्बर (वार्ता)राजस्थान के उदयपुर में चल रहे शिल्पग्राम उत्सव के नवें दिन लोक वाद्य यंत्रों से सजे ‘‘झंकार’’ की प्रस्तुति दर्शकों के लिये आल्हादकारी प्रस्तुति होने के साथ-साथ गुजरात के टिप्पणी नृत्य, पश्चिम बंगाल के ढाली नृत्य, सिद्दी कलाकारों के साथ पंजाब के मुण्डों ने जिन्दवा में लोक तत्वो की सौंधी महक फैलाई।

मुक्ताकशी रंगमंच पर रंगमंचीय संध्या का प्रारंभ गुजरात के टिप्पणी नृत्य से हुआ। चोवाड़ अंचल की श्रमिक महिलाओं द्वारा सड़क निर्माण समय जमीन पीटने किये जाने वाले इस नृत्य में महिलाओं ने हाथों में टिप्पणी लेकर आकर्षक नृत्य पेश कर ग्राम्य जीवन की संस्कृति की अनूठी झलक प्रस्तुत की। इस अवसर पर पश्चिम बंगाल का ढाली नृत्य दर्शकों को खूब रास आया तो पंजाबी मुझडों ने जिन्दवा में ढोल की थाप के साथ पंजाब की लखूटी संस्कृति से साक्षात करवाया।

कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति की शुरूआत पहले विलम्बित ताल में हुई और बाद में एक-एक कर विभिन्न वाद्य यंत्र उससे जुड़ते गये। प्रस्तुति के चरम पर तीव्र लयकारी के साथ लोक वाद्यों के सुरों ने अनूठा दृश्य प्रस्तुत किया जिसमें लोक कलाकारों ने अपनी थिरकन से प्रस्तुति को जीवन्त बनाया। कार्यक्रम में ही गुजरात से आये अफ्रीकी मूल के सिद्दी कलाकारों ने गीत ‘‘शोबिला ए शोबिला....’’ गीत एवं मुगरवान ढोल की थाप पर अपनी अनूठी थिरकन से दर्शकों को रिझाया। प्रस्तुति में एक-एक कर कलाकारोे ने विभिन्न मुद्राओं व भाव भंगिमाओं से दर्शकों का मनोरंजन किया तथा आखिर में हवा में नारियल उछाल कर सिर से फोड़ दर्शकों को झुमने पर मजबूर कर दिया।

इस अवसर पर पुंग चोलम नर्तकों ने ढोल के साथ नृत्य करते हुए समा सा बांध दिया वहीं त्रिपुरा का होजागिरी दर्शकों को भरपूर रास आया। इस प्रस्तुति में त्रिपुरा की कलानेत्रियों ने सिर पर बोतल रख कर अनूठे अंदाज में सुंदर दृश्य चित्र प्रस्तुत किये। कार्यक्रम में उत्तराखण्ड का छापेली एवं महाराष्ट्र का लावाणी नृत्य दर्शकों के लिये रोमांचकारी पेशकश रहे। इसके अलवा संबलपुरी, वीर वीरई नटम, स्टिक परफोरमेन्स अन्य उल्लेखनीय प्रस्तुतियां थी।

रामसिंह पारीक रमेश

वार्ता

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