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मुम्बई


कैप्टन, बिट्टू के आने से लम्बी, जलालाबाद बनीं हॉट सीट

चंडीगढ़. 16 जनवरी (वार्ता) कांग्रेस के केंद्रीय संसदीय बोर्ड के पंजाब विधानसभा चुनावों में प्रदेशाध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह को राज्य के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के विरुद्ध लम्बी विधानसभा क्षेत्र से तथा लुधियाना से सांसद रवनीत सिंह बिट्टू को उप मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल(शिअद) अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ जलालाबाद
विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतारने के फैसले से इन दोनों सीटों पर मुकाबला अब रोचक हो गया है।
कांग्रेस ने कैप्टन सिंह के लम्बी और श्री बिट्टू के जलालाबाद से चुनाव लड़ने की पेशकश स्वीकार करते हुये इन दोनों नेताओं की इन सीटों से उम्मीदवारी का आज एलान कर दिया। कांग्रेस की रणनीति को मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को उनके विधानसभा क्षेत्रों तक ही सीमित कर देने के रूप में देखा जा रहा है।
कैप्टन सिंह पटियाला विधानसभा क्षेत्र से भी चुनाव लड़ रहे हैं जहां शिअद ने उनके खिलाफ पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल जे.जे. सिंह को चुनाव मैदान में उतारा गया है। समझा जाता है कि अपने खिलाफ मजबूत प्रत्याशी की खुन्नस में कैप्टन ने लम्बी से मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा संभालने का मन बनाया। इसके अलावा उनके इस फैसले के पीछे अमृतसर संसदीय सीट से केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली को करारी शिकस्त देने का आत्मविश्वास भी नज़र आता है।
कांग्रेस ने अपने इस फैसले से आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का भी मुंह बंद करने का प्रयास किया है जो अपनी हर जनसभा में कांग्रेस और अकालियों पर आपसी सांठगांठ होने तथा एक दूसरे के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ने का आरोप लगाते रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि लम्बी विधानसभा क्षेत्र मुख्यमंत्री बादल की परम्परागत सीट है जहां से वह चार बार यानि वर्ष 1997, 2002, 2007 और 2012 के चुनाव जीत चुके हैं। वहीं सुखबीर बादल जलालाबाद से लगातार दो बार चुनाव जीत चुके हैं।
आप ने दिल्ली से अपने पूर्व विधायक जरनैल सिंह को लम्बी से तथा सांसद भगवंत मान को जलालाबाद से उम्मीदवार बनाया है।
उधर, श्री सुखबीर सिंह बादल ने यहां जारी एक बयान में श्री बिट्टू के जलालाबाद से चुनाव लड़ने के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने दावा किया श्री बिट्टू ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की नज़रों में चमकने का अच्छा अवसर तलाशा है लेकिन उनकी यहां हार निश्चित है क्योंकि वह इससे पहले कभी न तो जलालाबाद आये और न ही इस हलके के लोगों से कोई नाता रहा है।
रमेश, उप्रेती
वार्ता
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